गाय का सुखः दुःख

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
जब गाय बछड़ा देती है तो उसे मातृत्व का सुख होता है । जब उसके बछड़े बडे हो जाते हैं तो उसे दुखः होता है कि उनको पिता बनने से पहले ही बैल बना दिया जाता है । उन्हें प्रतिदिन गाड़ी में जोता जाता है और खेत में जाकर हल बख्खर में जोत कर वजन रखकर उनसे खिंचवाया जाता है। खेत से वो भरी गाड़ी लाकर थके हरे घर तक आते हैं । यह सब देख कर वह दुखी हो जाती है। चॅूकि वह प्रतिवर्ष बछड़े व दूध देती है, अतः मालिक उसे खूब प्यार करता है । खॅूटे पर भोजन देता है नार में चरने भेजता हॅू । वह जंगल जाकर शुद्ध जल पिती है। हरी घांस व पत्तियाँ खाती है। खूली हवा में विचरण करती है । तो वह फिर सुखानुभूति करती है। महाशिवरात्रि के दिन गाय गली में शोरगुल सुन जब बाडे से बाहर देखती है तो फिर दुःखी हो जाती है । उसके दो पुत्रों को गाड़ी में जोता गया है। एक बड़ी गाड़ी ऊपर से खुली है । बहुत सारे भूत चुड़ेल उसमें लदे हुए हैं,जो भयानक आवाज निकालने के साथ ही गाड़ी पर उछल कुद कर रहे हैं । जिससे बैलों के कंधों पर कभी वजन बढता है तो कभी जोत से कंठ दबने के कारण उनके अगले पॉव ऊँचे उठते हैं। बैलों के दुःख दर्द को कोई नहीं समझ पा रह है ,वरन उनके आगे ढोल धमका हो रहा है। फटाके फोड़े जा रहे हैं । खुशियाँ मनाई जा रही है। गाय मन ही मन सोचती है , अरे ये तो भोलेनाथ की शिवरात्रि की बरात की झाँकी है। फिर वह खुश होती है, क्योंकि उसके एक बेटे को खूब सजाया सवारा गया है ।उसके ऊपर सुन्दर कालिन बिछाई गई है। चॉदी का सिंहासन कसा गया है । उस पर देवादि देव महादेव स्वयं सवार हैं । लोग महादेव के साथ उसकी भी पूजा कर रहे हैं। उसके चरण स्पर्श कर रहे हैं । उसे केले गन्ने आदि फल खिला रहे हैं। वह तो नन्दीगण के नाम से जाना जाने लगा है। वही तो गाँव के सब गाय परिवार का पितामह है और गाय पुनः सुखानुभूति करती है ।उसकी छाती गर्व से फुल जाती है तो बेटे का सम्मान देखकर उसका लटका सिर ऊँचा उठ जाता है । वो याद करती है कि दीपावली पूर्व चवला बारस के दिन मेरी और मेरे बछड़े की भी तो पूजा होती है । पोले पर बैल पूजे जाते हैंं । पडवां के दिन गौधन की पूजा होती है । मै तो बहुत भाग्यवान हूं । हर शुभ कार्य मै मेरे गोबर का उपयोग होता है । मेरे गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती । भाईदूज पर भरापूरा घर मेरे गोबर से ही बनाया जाते । मेरे गोबर से ही आंगन लिपा जाता । घर ,चौका शुुद्ध किया जाता है । साँझाफुली बना कर आरती की जाती । गाय गौरी की पूज की जाती । भाई बहन पूरा घर बनाकर पूजा कर भाई दूज का पावन पर्व मनाया जाता है । प्रतदिन पहली रोटी मुझे दी जाती ।मेरी पूँछ पकड़ कर स्वर्ग जाते है । मै पूर्ण संतुष्ट हूँ भारत में आपने जन्म उपयोग ओर सम्मान से । मेरा आशीर्वाद सदा भारतवासियों के साथ है।

हेमंत उपाध्याय 9425086246, 9424949839 7999749125 व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार कवि एवं निबंधकार, गणगौर साधना केन्द्र, साहित्य कुटीर, पं0रामनारायण उपाध्याय वार्ड क्रमांक 43 खंडवा 450001 म0प्र0 gangourknw@gmail. Com

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