तुम हो कौन

त्रिवेन्द्र पाठक
त्रिवेन्द्र पाठक
तुम हो कौन, जानना एक मुद्दत से चाहता हूं,
क्या तुम वही हो, जिसे मैं हरवक्त सोचता हूं,
क्या तुम भोर की वही पहली किरण हो,
क्या तुम चन्द्र की वही शीतल किरण हो,
तुम कौन हो, एक मुद्दत से जानना चाहता हूं,
क्या तुम वही हो, जिसे मैं ख्वाबों में देखा करता था,
क्या तुम वही हो, जिसे मैं तन्हाईयों में सोचा करता था,
हो न हो, मेरे दिल के बहुत करीब हो तुम,
हो न हो, मेरे दिल को जिसकी थी तलाश वो हो तुम,
जब जब तुम्हें देखता हूं, अपनी सी लगती हो,
जब जब तुम्हें सोचता हूं, जिन्दगी सी लगती हो,
इश्क है आशिकी मालूम नही मुझको,
पर अंधकारमय जीवन की एक किरण हो तुम।

त्रिवेन्द्र कुमार पाठक

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