अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की सरगर्मी धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है.बंद कमरों में रणनीति बनाई जा रही है तो सड़क पर संघर्ष से लेकर मीडिया तक का सहारा लेकर उसे जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है.जातिवाद का खेल खेला जा रहा है. वोट बंैक की सियासत परवान चढ़ रही है.राष्ट्रवाद का ढिंेढोरा पीटा जा रहा है.झूठ के सहारे सच्च को दबाया एवं कुचला जा रहा है. यहां तक की जब किसी की,किसी भी वजह से हत्या के कारण मानवता शर्मशार होती है तो नेतागण उसे भी सियासी चश्में से ही देखते हैं.कहीं बयान बहादुर अपने बयानों से सियासत का रूख मोड़ने की कोशिश करते हैं तो कहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक जैसे संगठन अपनी पसंद की पार्टी के लिये सियासी जमीन तैयार करने में जुट जाते हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी को बड़ी सफलता हाथ लगी तो इसका जितना श्रेय मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है तो उतना ही हकदार आरएसएस भी है. आरएसएस काफी पहले से बीजेपी के पक्ष में माहौल तैयार करने में लगा हुआ था. इस बार भी चुनावी आहट से काफी पहले आरएसएस इस काम में जुट गया था. आरएसएस स्वयं सेवक पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर जनजागृति अभियान चलाये हुए थे.जिसका फायदा बीजेपी को आम चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भी मिला था. अब 2019 के लिये भी आरएसएस ने कमर कस ली है.
इसी क्रम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिन्दुओं को साधने के लिये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ 25 फरवरी को जिला मेरठ में आरएसएस के इतिहास का सबसे बड़ा समागम करने जा रहा है.जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ जुटने का अनुमान है. ‘राष्ट्रोदय स्वयंसेवक समागम’ के नाम से मेरठ में होने वाले इस आयोजन में तीन लाख से अधिक स्वयंसेवक भाग लेंगे तो आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत मुख्य भी इस समागम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहंेगे। इस समागम की अध्यक्षता जूनागढ़ अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानन्द गिरि करेंगे और जैन मुनि विहर्ष सागर विशिष्ट अतिथि होंगे।
समागम में सियासी हस्तियां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी शिरकत कर सकते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों के गांवों में आरएसएस की पैठ बढ़ाने की रणनीति के मद्देनजर आने वाले स्वयंसेवकों के कुल 3.11 लाख पंजीकरण में 2.18 लाख ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। ये ग्रामीण आरएएस के मेरठ प्रांत के 10 हजार 580 गांवों से आएंगे। आरएसएस के मेरठ प्रांत में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल आते हैं।समागम में आने वाले स्वयंसेवकों में ज्यादतर की उम्र 40 से कम होगीं और इनकी उपस्थिति सवा दो लाख के करीब होने का अनुमान है. इसमें से करीब एक लाख स्कूल-कालेजों के विद्यार्थी हैं। इस आयोजन में सभी 3.11 लाख स्वयंसेवक गणवेश में आयेंगे। इनमें सवा दो लाख पहली बार संघ के कार्यक्रम में आ रहे हैं। गणवेश बनवाने पर आने वाला करीब 800 रुपये का खर्च स्वयंसेवक ही स्व्यं उठायंेंगे. आयोजन स्थल पर सुरक्षा के मद्देनजर मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर संघ कार्यकर्ता को अपने मोबाइल ऐप से बार कोड का मिलान करना पड़ेगा। इसके बाद गणवेशधारी को पंडाल में प्रवेश मिल सकेगा। एक दिवसीय इस समागम में दोपहर तीन से पांच बजे तक संघ प्रमुख मोहन भागवत का बौद्धिक संवाद होगा। आरएसएस का यह सबसे बड़ा आयोजन है। इससे पहले पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत पुणो में 3 जनवरी 2016 को सवा लाख स्वयंसेवकों का एक आयोजन किया गया था।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में 25 को आरएसएस का समागम होगा तो इससे ठीक एक दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 24 फरवरी से दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे। खास बात यह है कि कार्यक्रम में पचास देशों के राजदूत या प्रतिनिधियों के साथ देशभर से 30 कुलपति भी मंच सांझा करेंगे। दिल्ली में दो दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन से दुनिया के सभी देशों से अशांति, स्वार्थ को छोड़कर दुनिया को ग्लोबल विलेज बनाने पर जोर दिया जाएगा। इससे संस्कृतियों व विचारों का आदान-प्रदान होगा, जिससे आपसी भाईचारे की भावना को भी बढ़ाया जाएगा। बता दें कि कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ कर रहा है,जोकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 48 अनुषांगिक संगठनों में से एक है।