जीवन में सुख-दुःख का साथी दोस्त

डा. जे.के.गर्ग
सच्चाई तो यही है कि सच्चा दोस्त तो वही है जो उस समय हमारे साथ खड़ा रहता है जब सारी दुनियाँ यहाँ तक हमारे स्वजन भी हमारा साथ छोड़ देते हैं | सच्चा दोस्त वही है जो हमारे अंदर की अच्छाइयों को उभारने मे हमारी मदद करे। सच्चा मित्र हमारी परेशानियों और तकलीफों को अपना बना लेता है ताकि इन्हें हम अकेले नहीं भूख्ते| सच्चा दोस्त हमारी असफलताओं पर हमें सम्भालता है और हमें संबल प्रदान करता है वहीं दूसरी तरफ हमारी सफलताओं पर जश्न एवं खुशियाँ मनाता है। सच्चे दोस्त कभी भी पीठ पीछे हमारी बुराई नहीं करते। सच्चे मित्र उस गुरु के समान हैं जो हमें अच्छी बातें सीखाते हैं और हमारी गलतियां हमें बताते हैं और उन्हें सुधारने मे हमारी मदद भी करते हैं। सच्ची मित्रता मे संदेह और शक की कोई भी जगह नहीं होती है | सच्ची दोस्ती दो शरीर एक जान के समान है। सच्ची मित्रता संसार-सागर की तरंग, विश्व-उद्यान में गुलाब के फूल की तरह है जिसकी खुशबू चारों दिशाओं में फेलती है | सच्ची दोस्ती ह्रदय-मंदिर का अखंड दीप भी है। जब हम हम हमारी तकलीफों और और परेशानी को छिपाने की कोशिश करते हैं और अनबने रहते है तब सच्चा मित्र ही बिना कहे हमारी तकलीफों और और परेशानी समझ लेता है और हमें संबल प्रदान करते हैं | वास्तविता में सच्ची मित्रता के बिना जिंदगी एक मरुस्थल की भांति बन जाती है।

दुनियां भर में रहने वाले विभिन्न धर्मावलम्बियों के स्त्री-पुरुषों के लिये पारस्परिक रिश्ते महत्वपूर्ण और खास होते है | हम परिवार में विभिन्न रिश्तों की डोर से यानि पति-पत्नी,माता-पिता,भाई-बहिन, चाचा- चाची , दादा –दादी, नाना-नानी आदि से बंधे होते हैं। किन्तु मित्रता का रिश्ता अपने आप मेंअनूठा और विशिष्ट होता है क्योंकि मित्र हमारे राजदार होने के साथ हमारे सुख-दुःख के साथी भी होते हैं।
मनोविश्लेषक वंदना प्रकाश के अनुसार “हमारे जीवन में दोस्त उतने ही जरूरी हैं जितना कि भोजन दरअसल वे हमारे तनाव और मुसीबत के पलों के वक्त दवा का काम करते हैं वहीं खुशी के वक्त हमारे उत्प्रेरक बनकर हमारी खुशी और आनन्द चोगुणा बना देते हैं | मनोविश्लेषकों के मुताबिक हम अपने जीवन की सभी बातें अपने माता-पिता या भाई बहनों के साथ नहीं बांट सकते हैं किन्तु हम जीवन में दोस्तों से अपने मन की सभी बातें बेझिझक कर सकते हैं | मनोविशलेषक डॉक्टर संजीव त्यागी के अनुसार किसी के भी जीवन में दोस्त उतना ही जरूरी होता है जितना भोजन | अगर हमारे जीवन में दोस्त न हो तो हम बिल्कुल वैसे ही मुरझा जाएंगे जैसे भोजन न मिलने पर हमारा शरीर निशक्त और दुर्बल हो जाता हैं |अत; जहाँ भोजन हमारे शरीर के लिए जरूरी है वहीं दोस्त हमारे स्वस्थ मन के लिये जरूरी होते हैं | बोस्टन यूनिवर्सिटी में किये गये शोध के मुताबिक अगर आप सप्ताह में सिर्फ दो घंटे भी दोस्तों के साथ गुजारते हैं तो आप पूरे सप्ताह तरोताजा महसूस करते हैं और आपमें काम करने की स्फूर्ति भी बनी रहती है |

मित्रता का तत्व हमारे अंतरंग संबंधों का विशेषज्ञ बन सकता है | शोधकर्ताओं ने शोध के बाद बताया है कि “मित्रता वह स्प्रिंगबोर्ड है, जिससे बाक़ी सभी तरह का प्रेम उत्पन्न होता है”। जिन लोगों की किसी से मित्रता नहीं होती, वे किसी भी क़िस्म का प्रेम करने में तुलनात्मक रूप से कम योग्य अथवा कम सक्षम होते हैं। वे कई बार विवाह करते हैं, अपने परिवार के सदस्यों से दूर हो जाते हैं और उन्हें ऑफ़िस में भी सहकर्मियों से संबंध बनाने में समस्याएँ आती हैं। दूसरी तरफ़ जो लोग मित्रतापूर्ण संबंध बनाने का तरीक़ा जानते हैं, वे अपने ऑफ़िस और परिवार में अच्छे ख़ासे लोकप्रिय होते हैं । वास्तिविकता में मित्रता सभी अंतरंग रिश्तों का आधारभूत तत्व है। अमेरिका के एक अग्रणी मनोवैज्ञानिक और मनोविश्लेषकों से पूछा गया कि कितने पुरुषों के सच्चे मित्र होते होंगे। जवाब था ‘ज़्यादा नहीं’, या ‘बहुत कम’ यानि लगभग 10 प्रतिशत या उससे भी कम। याद रक्खें कि विदेश में विद्या मित्र होती है वहीं घर में पत्नी और आत्मीय स्वजन मित्र होते हैं | रोगी का मित्र औषधि बनती है, वहीं धर्म ही मृतक का मित्र होता है। मित्र वे दुर्लभ लोग होते हैं, जो हमारा हालचाल पूछते हैं और उत्तर सुनने को रुकते भी हैं। बुद्धीमान और विवेकशील मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है। सच्चा दोस्त हीरे की तरह अमूल्य और दुर्लभ होता हैं वहीं झूठे,मतलबी दोस्त पतझड़ की पत्तियों की तरह हमें जीवन में हर जगह मिलते रहते हैं। सच्चाईयों में जीवन में अच्छे दोस्त का बहुत महत्व होता है क्योंकि अच्छा दोस्त हमारे जीवन के हर फिल्ड में खुशीयों,उल्लास और सोहार्द के सतरंगी रंग भर देता है |

आज इंसान का जीवन बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ है और ऐसे में एक मित्र का महत्व हमारे लिए ठीक उस तरह है जिस तरह शुद्ध वायु इन्सान के जीवन के लिए अमृत है,इसीलिए एक सच्चा मित्र किसी जीवनदायक अमृत से कम नहीं है ! आज जिस तरह का वातावरण हमारे आस-पास निर्मित हैं, जहाँ एक-दूसरे पर विश्वास करना बड़ा मुश्किल हैं, जहाँकोई भी किसी को कभी भी धोखा दे सकता है, अपना बनाकर हमारी पीठ में छुरा घोंप सकता है , फिर चाहे ऐसे लोग हमारे अपने सगी सम्बन्धी ही क्यों ना हों | इसीलिए ऐसे जटिलसमय में हम सभी को एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता होती है जो किसी भी हालात और परिस्थियों में हमारी मदद करने को तैयार रहता है और हमें गलत राह पर जाने से रोकता है| हमारा सच्चा दोस्त वही होता है जो बिना किसी मतलब के अपनी दोस्ती को निभाता है ! आज जिन लोगों के पास कोई सच्चा मित्र नहीं हैं वह इंसान इस भीड़ भरी दुनिया कासबसे अकेला प्राणी हैं और उसके लिए दुनिया की कोई भी ख़ुशी बिना दोस्त के अधूरी हैं | एक सच्चा मित्र अपनी सूझ-बूझ से हर वक़्त हमें गलत राह पर जाने से रोकता है,मुसीबत के समय ढाल बनकर हमारी रक्षा करता हैं ! आपके जीवन में अगर अच्छा दोस्त नहीं है तो कुछ भी नहीं है ! हम सभी ने दोस्ती और मित्रता के सेकड़ों किस्से औरकहानियां सुनी हैं जैसे ” राम-सुग्रीव ” की मित्रता ” कृष्ण -सुदामा ” की मित्रता , जिसमे मित्रता के लिए सच्चे समर्पण को देखा गया है | जहाँ ऊचं-नीच, जात-पात, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब,राजा-रंक जैसी छोटी सोच का कोई स्थान नहीं था आज ऐसे कई उदाहरण हमारे पास हैं जो सही मित्र और मार्गदर्शक ना मिल पाने के कारण अपनी सही राह से भटक गए हैं औरबुराई के उस मुकाम तक पहुँच गए जहाँ कोई भी आम इंसान जाना नहीं चाहता ! क्योंकि एक सच्चा मित्र हमारा बहुत बड़ा शुभचिंतक और मार्गदर्शक होता है | समाचार, चुटकुले,अफवाह और आलोचनाओं का विनिमय हर किसी के साथ हो सकता है परंतु हृदय की बातों, मन की भावनाओं, दुख, संकोच, स्वप्न और आकांक्षाओं आदि के विनिमय के लिए सच्चेमित्र की जरूरत पड़ती है। मित्र को अंतर की बातें निकलवाने का कुतूहल नहीं होता। इसलिए उससे उन्हें कहने का मन होता है।

प्रस्तुतिकरण——–डा.जे.के.गर्ग

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