भिक्षावृत्ति और शिक्षावृत्ति

हेमंत उपाध्याय
गुरुजी की धर्म पत्नी बोली-‘‘ तुम हमेशा स्कूल से विलम्ब से आते हो , ओव्हर टाईम करते हो पर निश्चित
वेतन के अतिरिक्त ओव्हर टाईम कभी नहीं लाते।‘‘

गुरुजी बोले-‘‘शासन ने ओव्हर टाईम का काम तो जारी रखा है, परन्तु ओव्हर टाईम का भुगतान प्रतिबंधित कर रखा है। ‘‘ कुछ सेवा निवृत्त हो गए , कुछ अवकाश पर हैं , कोई बीमार है ,कोई बंगले ड्युटी पर विश्राम कर रहा है ,कोई साहब के लिए वसूली करने गया है ,कोई काम ही नहीं जानता, कोई सब कुछ जानता है पर कुछ नहीं करना चाहता । उन सभी का खामियाजा काम पर आने वालों को ही भुगतना होता है, भाग्यवान।

पत्नी ने ताना देते हुए कहा – ‘‘पड़ोसवाले भिखारी चाचा शुक्रवार के दिन लक्ष्मी मंदिर के बाहर आधा -एक घंटे ज्यादा देर तक बैठते हैं , तो उन्हें रोज की अपेक्षा भिक्षा में भी सौ , देड़ सौ रुपए ज्यादा मिल ही जाता हैं और तुम सदा ओव्हर टाईम करते हो पर कभी ओव्हर टाईम नहीं लाते हो।

मजबूर गुरुजी ने मन ही मन सोचा युनियन पदाधिकारी अब मात्र अपने आपको चंदावसूली अधिकारी समझते हैं और दलाली ,कलाली व हलाली ही अपना मुख्य कर्तव्य मानते हैं , व उसका पूरी इमानदारी से निर्वाह करते हैं। ट्रांसफर करवाना, रुकवाना उनका दैनिक धंधा है । अधिकारी अपने स्वार्थ के अतिरिक्त उनको अपनी जेब से बाहर झांकने ही नहीं देते । जब जरुरत होती है, दौड़ा देते हैं । पूरे समय एसी रुम में बैठते हैं । वे समस्याओं से बेखबर हो गए हैं । अब किसे कहें कि ओव्हर टाईम दिलाओ । ओव्हर टाईम न ला सकने की मजबूरी को चतुराई से टालते हुए गुरुजी ने कहा – ‘‘ मैं सच्चा शिक्षक हॅू । सच्चा ही रहॅूगा । घर -घर जाकर सर्वे करना,दवाईयाॅ पिलाना , मतदाता सूचियाॅ बनाना आदि कार्य करना भी मेरा धर्म है , अपने धर्म के बदले धन की अपेक्षा नहीं करना चाहता। धन की अपेक्षा तो मात्र व्यवसायी ही करते हैं ।‘‘ भिखारी चाचा का तो मूल सिद्धांत है – टाईम इज मनी ‘‘ इसी लिए भिखारी चाचा भीख माॅगने भी लक्ष्मीजी के मंदिर ही जाते हैं ,जहाॅ उन्हे कम समय में ज्यादा धन मिलता है। सरस्वतीजी के मंदिर नहीं जाते । प्रोडेक्टिविटी हर धन्धे में आवश्यक है । मै सरस्वती साधक हॅू । में सरस्वतीजी के मंदिर जाता हॅू । सरस्वती साधक को धन बाधक नही होता । मुझे जो मिलता है , उसे सरस्वतीजी का प्रसाद समझो भाग्यवान। भिक्षावृत्ती भलें ही व्यवसाय हो जाए शिक्षावृत्ती को मैं व्यवसाय नहीं होने दॅूगा।।

हेमंत उपाध्याय , साहित्य कुटीर गणगौर साधना केन्द्र पं. राम नारायण उपाध्याय वार्ड क्र.43 खण्डवा म.प्र. 9425086246 7999749125 9424949839. [email protected]

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