चुनावी मशीन

महेन्द्र सिंह भेरूंदा
कल उत्तरप्रदेश में उद्योगपतियो को फायदा पहुंचाने के हाल ही में लगे संसद के आरोप का जवाब प्रधानमंत्री ने एक आमसभा में दोनो हाथ ऊपर की तरफ उठाकर फैलाकर अपनी 56 ‘ की छाती दिखाकर बोले ” मैं कारोबारियों के साथ खड़े होने से नही डरता ”
श्रीमान संसद और देश को आपके कारोबारियों के साथ खड़े होने पर कोई ऐतराज नही था और किसी ने भी उद्योगजगत के राष्ट्रनिर्माण में भागीदारी पर कोई प्रश्न खड़ा नही किया था ।
मगर हम जिनको प्रधानमंत्री समझ रहे है वह प्रधानमंत्री नही है प्रधानमंत्री जैसी दिखने वाली यह चौबीस घण्टे चलने वाली चुनावी मशीन है यह मोदी मशीन मूल प्रश्न को काटकर रेत कर देती है और नष्ट प्रश्न की शक्ल का नया प्रश्न अपने पक्ष का पैदा कर देती है ।
वरना जवाब तो मोदी जी आपको यह देना चाहिए था कि आपने उद्योगपतियों को फायदा दिया या नही दिया और दिया तो क्यो दिया ?
मगर आपने अपने चहेते उद्योगजगत को अपने पक्ष में फेविकोल से जोड़ने के लिये यह जुमला फेंकदिया जिससे उद्योग जगत आज आपकी वाह वाह कर रहा है ।
मगर इस मोदी मशीन के आंखे व कान नही है वरना देश के निर्माण में इस मशीन को किसानों का योगदान , मजदूर का योगदान भी दिखाई देता और आत्महत्या कर रहे किसानों का दर्द और परिवार के रोने को महसूस भी करती मजदूर को भूख से मरते को भी देख लेती मगर अफसोस सभी कुछ नजरअंदाज !
मगर हमारी इस चुनावी मशीन को भेद-भाव फैलाकर कुछ वोट अपने जेब मे डालने की काबलियत के काम को बहुत खूबी से अंजाम देना ही आता है और कुछ नही !
भाजपा की यह उपयोगी मशीन अब 2019 तक चलती रहेगी और देश जनता अपना प्रधानमंत्री ढूंढती रहेगी और विपक्ष अपने प्रश्नो का उत्तर ढूंढता रहेगा और इस मशीन से देश को कुछ भी हासिल नही होगा ।

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