वास्तविक आम आदमी को ही सत्ता तक पहुंचाना होगा

त्रिवेन्द्र पाठक
वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे जिस प्रकार की घटनाऐं राजनीतिक घरातल पर घटित हो रही है उनसे आम आदमी भ्रमित हो रहा है आम_आदमी ये नहीं समझ पा रहा कि सरकार हमारे लिए काम करने के लिए बनाई गई है या हमारे विरूध काम करने के लिए। संविधान का और सर्वोच्च न्यायालय का जिस प्रकार पिछले कुछ वर्षों में उपहास उडाया गया वो इस देश की जनता का उपहास था कि इस देश की जनता ने कैसे लोग संसद में भेज दिए हैं जिन्होने संसद को रंगमंच से अधिक कुछ नहीं समझा है। इन नेताओं की आत्मा मर चुकी है अब इन्हे सिवाय सत्ता के कुछ और नहीं दिख रहा है उसके लिए ये लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं अब आदमी के लिए सत्ता के गलियारे तक पहुंचने के सारे रास्ते बन्द कर दिये हैं न तो आम आदमी के पास इतना पैसा (लगभग 8 करोड) है कि इनको पार्टी_फण्ड देकर वहां तक पहुंच सके और जो इतना पैसा खर्च करेगा वो आम आदमी नहीं। ये युग पूर्णतः आर्थिक युग है यदि हमें इसे बदलना है तो प्रत्येक आम आदमी को इस सम्पूर्ण व्यवस्था का बहिष्कार कर वास्तविक आम आदमी को ही सत्ता तक पहुंचाना होगा तब ही हमारी सुनी, और समझी जाएगी। इसके बाद ही हम अपना अस्तित्व भी सुरक्षित कर पायेंगे इससे पूर्व हम सिर्फ विलाप ही कर सकते हैं इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। अब भी यदि हम ये बात न समझें तो ना कुछ कहने के लिए शेष है और न ही सुनने के लिए।
जय_हिन्द

त्रिवेन्द्र कुमार पाठक

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