क्या आप अपने जिद्धी और अडियल बच्चे से परेशान है ?

जानिये जिद्दी-अडियल बच्चे को समझदार बनाने के कारगार तरीके—–

डा. जे.के.गर्ग
जिद्दी और अडियल बच्चे किसी न किसी परिवार में होते ही हैं | उन्हें संभालना या उनका लालन पोषण उनके माता पिता के लिये गम्भीर चुनौती बन जाती है | ऐसे बच्चों से उनके देनिक कार्य यथा नहलाना, खाना खिलाना, सुलाना, पढ़ाना आदि भी अत्यधिक मुश्किल और दुर्स्रर हो जाता है जिससे परेशानियों का पहाड खड़ा हो जाता है | उनके व्यवहार को सामान्य बनाने के सामान्य तरीके निषप्रभावी होते हैं |

जिद्दी-अडियल बच्चे को समझदार बनाने के कारगार तरीके——–
जब आपका बच्चा सही व्यवहार नहीं करें और आपको या अपने स्वजनों को अपमानित करे तब आपको शांतचित रह कर अपनी तरफ से कोइ प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिये, वहीं जब कभी वो सही काम करें और जब कभी उसका व्यवहार सही हो तो उसी वक्त उसके अच्छे व्यवहार की सबके सामने दिल खोलकर तारीफ करें | अपने जिद्दी बच्चे की बात सुने और उससे उस वक्त तर्क वितर्क एवं बहस नहीं करें | अगर

आप चाहते हैं कि बच्चा आपकी बात सुने और आपका कहना माने तो आपको भी उसकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनना ही होगा क्योंकि शोधकर्ताओं के अनुसार मजबूत इच्छाशक्ति वाले इन्सान की राय मजबूत होती और वो आसानी से अपनी राय नहीं बदलते हैं, इसलिये अगर आप उनकी बात नहीं सुनेगें और उनसे बहस करेगें तो वो निश्चय ही ज्यादा हठी और जिद्दी होते जायेगें और आपसे हर मर्तबा बहस करने लगगें | जब बच्चा उत्तेजित हो अथवा अपने आपे में नहीं हो तो आप खुद शांत रहें, उसकी बात खत्म होने से पहिले उसे नहीं टोकें और ना ही कोई टिका टिप्पणी करे , जब वो शांत और नोर्मल हो जायें तब धेर्य से एवं धीमें से समझायें , रचनात्मक सुझाव दें और उससे आपकी बातों पर विचार करने का समय दें, बीच बीच में उसकी सराहना भी करें तथा उसे विश्वास दिलायें कि आप और परिवार के अन्य परिजन उसके साथ हैं और उसके हितेषी भी हैं |

जब कभी आप बच्चे पर जोर से चिल्लातें हैं या अपनी बात उससे मनवाने के लिये जोर जबरदस्ती करते हैं तो डर के क्षणिक तोर पर वो आपकी बात तो मान लेता है किन्तु उसके दिल में आपके विरुद्ध विद्रोह के विनाशकारी बीज पनपने शुरू हो जाते हैं जो कालान्तर में उसे विद्रोही बना देता हे और आपकी हर अच्छी बात भी उसे बुरी लगने लगती है और वह वो काम जरुर करता जिसके लिये आपने उसे मना किया है | जब आपका 8-10 साल का बालक अपनी पसंद का टीवी शो देख रहा हो अवांछित मोबाईल गेम खेल रहा हो तब आप उसके पास बेठ जायें, गप्पसप करें और उससे कनेक्ट हों और उसे अधिक मनोरंजक गेम या टीवी शो देखने का सुझाव दें, उसके समीप ही रहें, कुछ समय बाद आप देखेगें कि वो आपके बताये गये नये गेम खेल रहा या नया टीवी शो देख कर मुस्करा राह है इस वक्त आप भी उसके साथ मुस्करायें,ऐसा करने से बच्चे के मन में आपके लिये सद्दभावना जाग्रत होगी और वो आगे चल कर आपकी सलाह की अनदेखी करने के बजाय उसे मान कर काम करेगा | अत: उसके मन में पारस्परिक सोहार्द की भावना पनपेगी |

हरकोई एक ही काम को बार बार करके बोर हो ही जाता है तब बच्चे के सामने कई विकल्प रक्खें, यानि जब वो नियत समय पर वो सोने के लिये बिस्तर पर जाने के लिये आनाकानी करें या मना करें तो उससे कहें कि आओ अब हम मजेदार कहानी एक दूसरों को बिस्तर पर ही सुनाये, ऐसा करने से वो खुशी से आपके साथ बिस्तर पर आजायेगा और थोड़ी देर बात निद्रा रानी की गोद में चला जायेगा | जब कभी आप को उसके साथ कहीं जाना हो तब उससे अल्मारी में से ड्रेस निकाल कर पहनने को कहने के बजाय उसके सामने 3-4 ड्रेस रख दें और अपनी पसंद की ड्रेस पहिनने का विकल्प दें इससे वो कम कन्फ्यूज्ड होगा और आसानी से ड्रेस का चुनाव कर लेगा | बच्चे के सामने कई विकल्प रखने से उसमे निर्णय लेने की क्षमता बडेगी वहीं बच्चे-माता पिता के बीच अपनापन और सोहार्द पनपेगा, उसके मन में पेरेंट्स के आदर की भावना बडेगी जिससे उसके जिद्दीपन और अडियलपन की आदत कम होते होते खत्म ही हो जायेगी |

अक्सर जब बच्चा चिल्ला कर बोलता है तो पेरेंट्स भी अपना रोब जताने के लिये अधिक तेजी से चिल्लातें हैं, ऐसा करने से बच्चा शालीनता से बात करना ही भूल जायेगा और उसके मन में पेरेंट्स के लिये आदर की भावना लुप्त हो कर जिद्दीपन को बढाने में आग में घी डालने का काम करेगी, इस समस्या को सुलझाने का एक मात्र तरीका है कि पेरेंट्स को शांत रहना होगा और उस क्षण मोन धारण करना होगा | शान्त चित्त से उससे बात करें, उसकी परेशानियों को समझें, उन्हें दूर करने के लिये उसकी मदद करें,उसके घनिष्ट मित्रों से बात करे, बच्चे को भरोसा दिलायें कि आप उसके हितेषी हैं और उसकी तन मन धन से मदद करने तत्पर हैं | बच्चे के मन पसंद काम में उसके साथ शामिल हों, बच्चे के दोस्तों से वार्तालाप करें, उन्हें पार्टी में बुलायें, बच्चे के साथ पिकनिक पर जायें, दूर दराज के पर्यटन स्थलों पर जायें, बच्चे से घुलें मिलें | बच्चे का विश्वास जीतने के हर मुमकिन प्रयास करें, उससे आत्मीयता बडाये |

अपने बच्चे से डाटडपट करने के वनिस्पत उसे स्नेह प्यार दें , उसे सम्मान दें उसकी सोच को इग्नोर करने की जगह उससे सतत वार्तालाप करते रहें, हमेशा अपने पेरेंट्स होने की अथौरिटी उस नहीं थोपें | वो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करते हुये उसे बिना कोई शर्त के प्यार करें, उसकी छोटी मोटी भूलों को माफ़ करते हुये उसके पथपर्दशक बनें | पारिवारिक कार्यों में उसका सहयोग और सुझाव लें | उनके उन विचारों को जिससे आप पहली नजर में पसंद नहीं करते तो हडबड़ी में ख़ारिज नहीं करें किन्तु उसके सुझावों पर शांतचित्त से चिन्तन करें, वार्ता करें और सम्मानजनक रास्ता निकालें जो आपको और आपके बच्चे को स्वीकार हो | अपने बच्चे का भरोसा जीतने की कोशिश करते रहें | आप अपना व्यवाहर शालीन-सोम्य एवं निक्ष्पक्ष रक्खे, अपने बच्चो में भेदभाव नहीं करें | शोधकर्ताओं ने बताया है कि आपके बच्चे, परिजन अनेको चीजे आपके सीखाये बिना आप के व्यवहार से सीखते हैं इसीलिए लिये दूसरों को को सीख देने से पहिले खुद की सोच और व्यवाहर को सही और सोम्य बनायें |

ऐसा देखा गया है कि ज्यादातर जिद्दी-अडियल बच्चे सम्वेदनशील और इमोशनल होते हैं और उनका व्यवाहर इस पर निर्भर करता है कि आप उनके बारें कैसा सोचते हैं या कैसी सोच सकारात्मक या नकारात्मक रखते हैं | इसीलिए यह जरूरी है कि आप उनसे प्रेमव्रत व्यवहार करे और उसे दर्शायें भी | अपने अहंकार को छोड़ते हुये उनसे हमेशा मुस्कराते हुये बातें करें, हंसीमजाक करें, उसका विश्वास जीतें | उनको कभी भी नहीं करें कि ऐसा करो या वैसा करो की जगह कहें कि आओ हम सब मिलकर ऐसा करते हैं | ऐसा कहने से बच्चे को यह एसास होगा कि मेरे पेरेंट्स मेरा ध्यान रखते हैं और मुझसे प्यार भी करते हैं | आपका सोम्य मधुर व्यवाहर उसके अडियलपन को कम करेगा | उदाहरण के लिये अगर आप चहाती हैं कि आपका मुन्ना साफ़ सफाई मे आपकी मदद करें तो उससे कहने के पहिले आप खुद सफाई करना चालू कर दे और विनम्रता से उसे आपकी सहायता करने का अनुरोध करें | आप देखेगें कि आपका बच्चा खुशी खुशी सफाई करने लगा है |

अपने बच्चे कि कभी भी किसी से तुलना करें और ना ही आलोचना करें किन्तु इसके वनिस्पत उसके अच्छे कामों की प्रशंसा करें, उसके सामने और उसके पीछे भी प्रशंसा करें |

प्रस्तुतिकरण—–डा. जे. के.गर्ग
सन्दर्भ—–विभिन्न समाचारपत्र, पत्रिकायें, आजतक एवं अन्य, मेरी डायरी के पन्ने|

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