शायद इसीलिये टिमटिमाते हैं
सूरज से डरते हैं
इसीलिये दिन में छिप जाते हैं।
चाँद से शरमाते हैं
पर आकाश में निकल आते ह़ैं
तारे घबराते हैं
शायद इसीलिये टिमटिमाते हैं।
लोग कहते हैं
अंतरिक्ष अनंत ह़ै
लेकिन मैंने देखा नहीं
मैं तो केवल इतना जानता हूँ
सूरज बादल में छिप जाता है
चाँद बादल में छिप जाता है
सो तारे जब डरते शरमाते होंगे
बादल में छिप जाते होंगे।
तारे घबराते हैं
शायद इसीलिये टिमटिमाते हैं।
डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’