सपा मुहिम: वाराणसी में मोदी के खिलाफ शत्रुघ्न

बड़ा सवाल: पीएम चुनने वाला, किसी और क्यों मौका देगा

संजय सक्सेना,लखनऊ
रतीय जनता पार्टी के सांसद और गुजरे जमाने के सिने कलाकार शत्रुघ्न सिन्हा किसी पहचान को मोहताज नहीं हैं। उनका जितना ऊंचा कद है,उतने ही बड़े विवाद उनके साथ जुड़े हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में रह चुके शत्रुघ्न इन दिनों जब भी मुंह खोलते हैं तो उनके शब्द तमाम लोगों को तीर की तरह चुभ जाते हैं। बॉलीबुड में शत्रुघ्न की दुश्मनी की लिस्ट में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन सहित कई नाम शामिल थे तो सियासी दुनिया में भी शत्रुघ्न दोस्ती के मुकाबले दुश्मनी ज्यादा सलीके से निभाते नजर आते हैं। वह बीजेपी में रहकर ही मोदी सहित तमाम बड़े नेताओं की मुखालफत करते हैं। उनके लिये मोदी विरोध एक शगल बन गया है। दूसरे शब्दों में उन्हें बीजेपी का राहुल गांधी कहा जा सकता है। मोदी विरोध के लिये उन्हें कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी या फिर समाजवादी पार्टी आदि किसी के मंच पर भी जाने में कोई गुरेज नहीं होता है,लेकिन वह बीजेपी का दामन भी थामे रहते हैं। इसकी वजह तलाशी जाये तो मोदी विरोध की पीछे शत्रुघ्न की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा भी काम कर रही है।

संजय सक्सेना
2015 में बिहार विधान सभा चुनाव के समय शत्रुघ्न चाहते थे कि उन्हें बीजेपी बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करें,लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने इसे नकार दिया,इसी के बाद से शत्रुघ्न नाराज होकर बगावती हो गये। गत दिनों बीजेपी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा लखनऊ पधारे तो यहां भी सियासी हलचल तेज हो गई। पटना में रहते शत्रुघ्न के बारे में चर्चा छिड़ी रहती है कि वह अबकी बार लालू की पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। दिल्ली पहुंचते हैं तो दिल्ली से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात होने लगती है,लेकिन जब शत्रुघ्न लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मंच पर पहुंचे तो धमाकेदार रूप से उनके सपा के टिकट से वाराणसी में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की चर्चा छिड़ गई। इसके लिये सियासी समीकरण भी गिनाये जा रहे हैं। जबकि अभी यह तय ही नहीं हुआ है कि अगर बसपा-सपा का गठबंधन होगा तो, वाराणसी की सीट किसके हिस्से में जायेगी। यह सर्वविदित है कि समाजवादी पार्टी फिल्मी सितारों से काफी प्रभावित रहती है,जबकि बसपा सुप्रीमों मायावती कभी किसी सिने कलाकार से न तो प्रभावित दिखीं न ही अपवाद के छोड़कर कोई अभिनेता-अभिनेत्री बसपा के टिकट से चुनाव लड़े होंगे। इसके अलावा इस सच्चाई को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि मोदी ने वाराणसी में काफी काम शुरू कर दिया है। वाराणसी का सूरत-ए-हाल काफी बदल रहा है। फिर लाख टके का सवाल यही है कि जो शहर प्रधानमंत्री को चुन कर भेजता है,वह ऐसे शत्रुघ्न पर क्यों दांव लगायेगा,जो पल-पल रंग बदलते रहते हैं।
चर्चा है कि पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ साझा और दमदार प्रत्याशी की तलाश कर रहा विपक्ष शत्रुघ्न सिन्हा में नई संभावनाएं देख रहा है। इसकी धुरी समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव बनना चाहते हैं। बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले शत्रुघ्न सिन्हा बिहार के पटना से भाजपा के सांसद हैं,लेकिन इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काटने का मन बना लिया है। समाजवादी विचारधारा के नेता जयप्रकाश नारायण की जयंती पर 11 अक्टूबर 2018 को शत्रुघ्न सिन्हा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय में थे। इस मौके पर अखिलेश यादव की मौजूदगी में दोनों नेताओं ने भाजपा पर जमकर हमला बोला। भाजपा से दो बार लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्य रह चुके शत्रुघ्न सिन्हा का समाजवादी पार्टी बड़ा उपयोग करने की तैयारी में हैं। इसके संकेत लखनऊ में समाजवादी पार्टी के कार्यालय में मिले हैं। गौरतलब हो, 2014 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भाजपा के नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में थे,लेकिन उनको जबर्दस्त हार का सामना करना पड़ा था। वाराणसी में मोदी के खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव लड़ाने के पीछे कई फैक्टर काम कर रहे हैं। सिन्हा कायस्थ परिवार से आते हैं जिनकी वाराणसी में बड़ी संख्या है। इसके अलावा वाराणसी में बिहार के लोगों का भी अच्छा-खासा दबदबा है,जिसके चलते शत्रुघ्न के टिकट का समर्थन करने वालों को लगता है कि वह मोदी को कड़ी चुनौती दे सकते हैं,लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि शत्रुघ्न सिन्हा गुजरे जमाने के कलाकार हैं और आज की युवा पीढ़ी ने तो शायद ही उनकी कोई फिल्म देखी होगी। जिन लोगों ने करीब दो दशक पहले तक सिन्हा की एक्टिंग का दौर देखा है उसमें से सबके सब मतदाता सियासी रूप से परिपक्त हो चुके हैं और उनका निष्टा भी पहले से किसी न किसी दल के जुड़ चुकी है।
शत्रुघ्न सिन्हा के फिल्मी अंदाज में अपने भाषण देते जरूर हैं लेकिन मुददों को हवा देने की काबलियत उनके पास नहीं दिखाई देती है। उनके बारे में भी यही धारणा है कि उनकील सियासत भी राहुल गांधी की तरह मोदी विरोध पर ही टिकी हुई है। नोटबंदी, जीएसटी और राफेल डील जैसे मुद्दे भी सिन्हा उठा चुके हैं। लखनऊ पधारे सिन्हा ने मीडिया को समाजवादी पार्टी में शामिल होने के प्रश्न का तो सीधा उत्तर नहीं दिया,लेकिन यह जरूर कहा कि हम सब एक परिवार की तरह से हैं। अखिलेश मुझे मौका दें या मैं अखिलेश को मौका दूं बात एक ही है। उन्होंने कहा कि मैं तो जयप्रकाश जी से प्रभावित होकर राजनीति में आया और विपक्ष में आना चाहता तो सत्ता में जा सकता था। उन्होंने कहा कि लोग बोलते हैं कि आप भाजपा में रहकर भाजपा का विरोध करते हैं तो मैं कहता हूं अगर सच कहना बगावत है तो मैं बागी हूं, खोखले जुमलेबाजों को लेकर चलेंगे तो न कोई साथ चलेगा और न कोई बोलेगा।
शत्रुघ्न सिन्हा ने राफेल डील पर कहा कि केंद्र सरकार को जवाब देना होगा। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि देश राफेल डील के बारे में जवाब चाहता है। आखिर एक वर्ष पुरानी कंपनी एचएल को क्यों हटाया गया। एक ऐसी कंपनी को यह सौदा क्यों दिया गया जो कि इसके बारे में जानती भी नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि भाजपा से अब डरने की जरूरत नहीं क्योंकि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव तैयार हैं और बिहार में तेजस्वी हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने अखिलेश की तारीफ करते हुए कहा कि किसी की फिल्म चली हो या न चली हो लेकिन अखिलेश का जादू चल गया है। उन्होंने कहा, ईवीएम पर भी निगाह रखना। मैं मन की बात तो नहीं करता, क्योंकि इसका पेटेंट किसी और का है मैं तो दिल की बात करता हूं। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमले की निंदा की। उन्होंने शीर्ष पदों पर बैठे भाजपा नेताओं की चुप्पी पर हैरानी जताते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पॉलिटिकल स्टेट है और यहां से देश की राजनीतिक दिशा तय होती है।
बहरहाल, जिस कार्यक्रम में शत्रुघ्न सिन्हा गरज रहे थे,वहा जेपी आंदोलन से जुड़े सपा नेताओं की उपस्थिति कम दिखी। सपा संस्थापक मुलायम सिंह की गैरहाजिरी चर्चा में रही। भाजपा के जातीय सम्मेलनों के जवाब में आहूत इस कार्यक्रम में कायस्थ समाज के कई ऐसे लोग भी मौजूद रहे जो आमतौर से भाजपा में सक्रिय दिखते हैं। इस मौके पर ओपी श्रीवास्तव, सर्वेश अस्थाना, दीपक रंजन और रामगोविंद चौधरी भी मौजूद थे।

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