गायक विनोद जी अग्रवाल का वृंदावन में हुआ प्रभु मिलन

राकेश भट्ट
भजन सम्राट सम्माननीय विनोद जी अग्रवाल – एक ऐसी दिव्यात्मा जो केवल इस संसार को भजनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में गोता लगवाने और लाखों करोड़ों लोगों के जीवन की दशा और दिशा बदलने के लिए ही इस श्रष्टि में अवतरित हुई थी । एक ऐसी आवाज जिसे सुनकर मन के अंतरंग तार तक झंकृत होकर नाच उठते थे । एक ऐसी शख्सियत जिसे देखकर मन एकदम शान्त हो जाया करता था । एक ऐसा विराट व्यक्तित्व जिसने दुनिया के सामने यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि इस जगह का सार केवल और केवल कृष्ण की भक्ति और उनकी कृपा पाने में ही है बाकी यहां सब मोह माया और जीवन को उलझाने के साधन मात्र है जिसमे फंसकर प्राणी अंत मे पछताता ही है । एक ऐसा महामानव जिनका जन्म केवल और केवल करोड़ो लोगो को सत्संग के जरिये अपना आने वाला जीवन सुधारने का संदेश देने के लिए ही हुआ था । ऐसे श्री कृष्ण के प्यारे विनोद जी ने आज अपनी अंतिम सांस भी उस वृंदावन की उस पवित्र धरती पर ली जहां के कण कण में भगवान श्रीकृष्ण और माँ राधा का निवास माना जाता है ।

खास बात रही है कि भगवान बांकेबिहारी जी ने विनोद जी के दुनिया से अचानक यूं विदा हो जाने का दिन भी वैकुंठ चौदस के रूप में चुना जिस दिन स्वयं ठाकुर जी वैकुंठ के द्वार अपने भक्तो के लिए खुले रखते है । यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि विनोद जी स्वयं श्रीहरि ठाकुर जी के ना सिर्फ सबसे प्रिय भक्तो में से एक थे बल्कि उन पर उनका विशेष स्नेह भी था । अपनी मधुर आवाज और अंतरात्मा से गाये जाने वाले भजनों की कशिश के चलते ही देश ही नही पूरी दुनिया के कोने कोने में विनोद जी के चाहने वाले मुरीद करोड़ों की संख्या में मौजूद है । इस घटना के चलते आज छोटी दीपावली जैसा पावन पर्व होने के बावजूद करोड़ों लोगों का मन रो रहा है , दुःखी है । शायद जिस काम के लिए ईश्वर ने उन्हें इस धरती पर भेजा था वो अब पूरा हो चुका था , या हो सकता है स्वयं ठाकुर जी की ऐसी इच्छा हो गई हो कि विनोद जी अब उनके श्रीधाम में उनके सन्मुख बैठकर ही उन्हें भजन गाकर सुनाए । तभी तो आज अचानक विनोद जी हम सभी को यूं अकेले छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए वैकुंठ धाम में निवास करने के लिए विदा हो गए । उनका वृंदावन में ही यनुमा नदी के किनारे दोपहर 3 बजे अंतिम संस्कार कर दिया गया जिसमें उनके परिवार जनों सहित हजारो कृष्ण भक्त मौजूद थे ।

*विनोद जी का पुष्कर से था विशेष नाता , सात बार दी थी भजनों की प्रस्तुति •••*
वैसे तो विनोद जी अग्रवाल ने देशभर में ना जाने कितने शहरो और विदेशों में अपने भजनों की सरिता बहाकर लोगो को झूमने पर मजबूर कर दिया था । परंतु तीर्थगुरु पुष्कर से उनका एक विशेष नाता था जो वे हमेशा स्वीकार भी करते थे । अपने जीवनकाल में वे यहां आठ बार पधारे और सात बार बहुत ही शानदार भजनों की प्रस्तुति देकर पुष्कर वासियो के दिलो में कभी ना भुलाई जाने वाली अमिट छाप छोड़ दी थी । पुष्कर के पुजारी परिवार सत्यनारायण जी गिल्याण , रवि कांत , शशि कांत शर्मा के परिवार से उनका विशेष नाता रहा । शशिकांत को तो वे अपने पुत्र की तरह ही मानते थे । इन दोनों का बहुत ही अनूठा रिश्ता था जिसे बयान करना मुश्किल है । मेरे जीवन मे भी विनोद जी ने गहरा प्रभाव डाला था जिसके चलते मेरे जीवन की दशा और दिशा में जबरदस्त बदलाव आया । उनके भजनों को सुनकर देश के करोड़ो लोगो की तरह मेरे जीवन मे भी कृष्ण भक्ति का ऐसा अंकुर फूटा जिसे शब्दो मे बयान कर पाना मुश्किल है । एक पत्रकार होने के नाते मुझे भी उनका सानिध्य पाने और कई बार इंटरव्यू करने का भी सौभाग्य मिला । जिसे में जीवनभर नही भूल पाऊंगा ।

*आज दुःख की इस घड़ी में देश के करोड़ों लोगों की तरह पुष्कर के भी हजारो लोग गमगीन है । हम सभी श्री हरि ठाकुर जी से यही विनती करते है कि वे विनोद जी को अपने श्रीधाम में जगह देकर अनंत आत्मिक शांति प्रदान करे और इस जगत के प्राणियों को दिशा देकर उनका जीवन बदलने के लिए पूनः भजन सम्राट बनाकर इस धरती पर अवतरित करे ताकि जन्म जन्मांतर तक उनके वाणी के माध्यम से जन जन का कल्याण होता रहे ।*

🙏🏻 *ॐ शांति शांति – ॐ शांति शांति* 🙏🏻

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ नेशन*
*मो 9828171060*

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