कड़ाके की ठंड पर खांटी खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा की चंद लाइनें…

खड़गपुरिया कविता…
कटिंग नहीं फुल दे रे भाई…!!

तारकेश कुमार ओझा
चा… कटिंग नई फुल दे रे भाई…
लगता है अब लपेट कर निकलना पड़ेगा रजाई …
ठंडा इतना कि बॉडी का बन गया कुल्फी
भूल गया चैटिंग – वैटिंग और सेल्फी
सबेरे उठ कर नहाने में याद आ गई मां लक्ष्मी – सरस्वती
बाइक चलाया तो दिन में नजर आ गया बड़ा बत्ती
हिल रहा बदन और नार्मल पानी भी लग रहा चील्ड
हाथ – मुंह धोया तो लगा जैसे जीत लिया कोई शील्ड
बंद हुआ अड्डाबाजी , फेसियल और स्पा
इस ठंडा का एक ही सहारा गरम – गरम चा
कुहासा से बचना रे भाई …
रात को जल्दी घर घुस जाना
एक बार ठंडा जो पकड़ा
तो मुश्किल होगा छुड़ाना
काम करो और घर को बनाओ डेस्टीनेशन
रात में काट लिया कुत्ता तो
लेना पड़ेगा 14 इंजेक्शन …

*लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार
हैं।
तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास
वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( प शिचम बंगाल) पिन ः721301 जिला प शिचम
मेदिनीपुर संपर्कः 09434453934, 9635221463*

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