वहीं खड़ी रहना । तुम शक्तिशाली हो जल्द ही समुद्र तुम्हारे चरणों में आकर लोटने लगेगा और तुम उसे पकडने के लिए झुकोगी तो डर कर भाग जावेगा। तुम सबला हो ना। जो लोग पास जा रहे हैं . उन्हें भिंंगोकर छोड़ेगा । जो कमजोर है . उन्हें अपने आगोस में भरकर ले जावेगा। तुम नदी होती तो वो तुम्हें बहला. फुसलाकर अपने में मर्ज कर लेता ।अपने रंग व स्वाद में तब्दील कर देता पर तुम तो शक्ति स्वरूपा दुर्गा हो ।आज के युग की सबसे बड़ी शक्ति तो बिजली है और बिजली से आपका जीवंत संपर्क है। दूर्गा दूर गति दूर करो और बिजली से देश प्रदेश को भरपूर करो। तुम नारी हो और सब पर भारी हो। हेमंत उपाध्याय. साहित्य कुटीर . पं. राम नारायण उपाध्याय वार्ड क्र 43 खंडवा 450001