हास्य-व्यंग्य
एक बार अटपटेश्वर मंदिर में रंग-पंचमी की रात को स्वयं महाराज ने, गृहस्थी सहित वहां रह रहे, अपने पुजारी को सपने में दर्शन दिए और कहा कि कल प्रात: काल उठते ही नहा धोकर अपने मोबाइल पर पांच भक्तों को वाट्स-अप करें कि अब महाराज का अजनाब खंड –यानि भारत वर्ष- में अवतरण हो चुका है. अब यहां स्वर्ग के समान सुख होने वाला है. वह पांच भक्त भी आगे से आगे पांच-पांच भक्तों को यही वाट्स-अप करते रहे और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहे जब तक सम्पूर्ण पृथ्वी मंडल पर यह संदेश न पहुंच जाय.
भगवदाज्ञानुसार आदेश निकला और इस पर बडे जोर-शोर से अमल हो रहा है. सारे भक्त, उपभक्त और अनुभक्त इससे लाभान्वित भी होरहे है. मसलन कुछ निम्न लिखित उल्लेखनीय है.
1. एक भक्त को कुछ दिनों पूर्व प्रचलन में बंद हुई चवन्नी का एक सिक्का सडक पर पडा मिला.
2. एक भक्त एक रोज पूना से लोनावला चलने वाले रेलवे शटल में, लुका-छुपी करते हुए, विदाउट टिकट सफर करने में सफल रहा.
3. मंदी की वजह से काम से निकाले गए एक मजदूर को मनरेगा योजना में काम मिल गया.
4. एक भक्त इस बार राशन की दुकान से कुछ मात्रा में गेंहू लेने में सफल रहा.
5. जय किशन नामक एक बेरोजगार भक्त अपना नाम जैक्सन रख कर एक इंगलिश मीडियम स्कूल में अस्थायी तौर पर टीचर लग गया.
6. एक झोलाछाप डाक्टर , जिसने घर के बाहर “नामर्द डाक्टर से मिलें” का बोर्ड लगाया हुआ था, के यहां मरीजों की भीड लग गई.
कुछ गैर भक्तों ने अटपटेश्वर महाराज की बात की अवहेलना की और कुछ ने इसका मजाक उडाया. उन्हें जो नुकसान उठाया वह भी पठनीय है.
1. उन्ही गैर भक्तों में से एक ने जब बाजार में तेल खरीदने के बाद दुकानदार से टिन पर लिखेनुसार फ्री कॉलेस्ट्रोल भी मांगा तो उसने सिर्फ तेल ही दिया, कॉलेस्ट्रोल नही दिया.
2. एक पिछडी बस्तीवाले ने वोट मांगने आए नेताजी से जब रहने की जगह की मांग की तो वह बोले आपके लिए तो जगह मेरे दिल में है. आप क्यों फिक्र करते हो.
3. एक नौजवान की सगाई इस बात पर छूट गई जब ससुराल वालों को यह पता लगा कि लडका कविताएं भी करता है.
4. एक पढे लिखे नौजवान ने बहुत दिनों बेकारी में गुजारकर पकौडों का ठेला तो लगाया लेकिन उसकी हर रोज सौ रू. की बिक्री भी नही होती है.
5. एक अभक्त रिक्शेवाला एक सिपाही को बैठाकर थाने तक लाया औऱ किराया मांगने लगा तो सिपाही ने उसे डांटा कि तेरी इतनी हिम्मत ? हमसे ही दादागिरी करता है.
6. मंदी की वजह से अखबारों की रध्दी के भाव दो रू, किलो तक गिर गए और एक नास्तिक व्यक्ति को इससे पांच किलो रध्दी के पैसों का नुकसान उठाना पडा.
जो भक्त है वह अगले जन्म में मीडिया के लोग, कुछ जातिगत पंचायतों के पंच-सरपंच, पुलीस और इंकम टैक्स, सेल टैक्स आदि विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी बनेंगे और गैर भक्त अगले जन्म में लेखक, कवि अथवा शायर, अध्यापक, पटवारी आदि बनेंगे.
इति श्री रेवा खंडे, अटपटेश्वर महाराज की कथा समाप्त.
अटपटेश्वर महाराज का दासानुदास.
शिव शंकर गोयल