विचार – प्रवाह

नटवर विद्यार्थी
समझौता एक अच्छी बात है , अच्छी परम्परा है किन्तु थककर और झुककर किया गया समझौता अच्छी बात नहीं है । असत्य के सामने झुककर अथवा भयभीत होकर किया गया समझौता तो कभी भी अच्छे परिणाम नहीं दे सकता । हठ करके बात मनवाना न्याय संगत नहीं हो सकता ।
आदमी झुककर बड़ा होता है , बड़ा कहलाता है किन्तु भीड़ जुटाकर , भयभीत करके , अन्यायपूर्वक और मज़बूर करके झुकाना ग़लत परम्परा ही कहलाएगी ।
कुछ दलों एवं तत्वों ने बात- बात पर बखेड़ा खड़ा करना अपनी आदत का अंग बना लिया है । उनमें राष्ट्रहित नहीं अपितु स्वहित का भाव ज्यादा है । जनसमूह को उकसाकर वो अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए है अतः ऐसी विघटनकारी ताकतों का पुरज़ोर विरोध होना चाहिए । ऐसी ताकतों के सामने झुकना भी कायरता कहलाएगी । कायरता देशहित के लिए अच्छी बात नहीं है । ऐसे तत्वों को दबाने के लिए किया गया बलप्रयोग अनुचित नहीं हो सकता । देश को बचाना है तो निडर बनाना ही पड़ेगा । किसी कवि ने सच कहा है –
राही दिल्ली जाकर तू ,
कहना अपनी सरकार से ।
चरखा चलता हाथों से ,
शासन चलता तलवार से ।

– नटवर पारीक

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