पीहर-ससुराल एक ही जगह होने का अपना मजा है !

शिव शंकर गोयल
खबर है कि भारत में हर दसवें लडकें को दुल्हन नही मिल रही है. वह दसवां लडका कौन है यह खोज का विषय है. सीबीआई खोजले तो और बात है बशर्ते उस पर किसी तरह का दवाब ना हो. फिर भी र्इस समस्या का हल निकाल लिया है मध्य प्रदेश में खरगोन जिले के चोली गांव के लोगों ने. गांव के बडे-बूडढों ने सुन रखा था कि गांव के कुंआरें अकसर नहाते वक्त “गंगा राम कुंआरा रह गया” गाना गाते रहते है अत: पंचायत में फैसला किया कि अब ना तो गांव की किसी दुल्हन की डोली गांव के बाहर जायेगी और ना ही लडकों की बारात. लडकों-लडकियों की शादियां गांव में ही होगी यानि वर-वधु का मायका भी यही और पीहर भी यही.
अगर खुदा न ख्वास्ता पास ही दामन नामक गांव होता तो और बात थी तब तो गांव वालों को उन्हें साथ लेना ही पडता क्योंकि आपतो जानते ही है कि “चोली-दामन का साथ” मशहूर है.
फिल्म “धूल का फूल” के एक गाने की पैरोडी है “तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं, गांव का गांव में सासरा चाहता हूं.” इसी को चरितार्थ कर दिया गांव वालों ने.
इस विषय में राजस्थान में कभी ग्रामीण नव युवतियों की एक ख्वाइश हुआ करती थी, आप भी सुनिये
“उठै ही पीर, उठै ही सासरो. आथूणे हो खेत, चुवे नही आसरो.
नाडा खेत नजदीक, जठै हल खोलना, इतणा दे करतार फेर नही बोलना”.
( यानि जिस गांव में मायका हो वही ससुराल हो. हमारा खेत पश्चिम की तरफ हो. झोपडी बरसात में टपके नही और खेत के पास ही गाय-भैसों को बांधने की जगह हो. बस, ईश्वर इतना देदे तो फिर कुछ नही चाहिये ?)
चोली गांव के लोग भी अपने गांव की बालाओं की यह मंशा तो पूरी कर ही रहे है गांव के नव युवकों की यह ख्वाइश भी पूरी कर रहे है जो फिल्म “तेरे घर के सामने” मे देवा नन्द गाता है “एक घर बनाऊंगा तेरे घर के सामने…”.
आपतो जानते ही है कि गांव में ही मायका-ससुराल हो तो कई फायदें है. एक बार “लगन” हो जाय तो फिर लगन लग जाती है. “शादी से पहले, शादी के बाद,” की तर्ज पर कभी भी, कही भी मिलने जुलने की सुविधा होजाती है. वैवाहिक विज्ञापनों का खर्च बच जाता है, वर-वधु के झूठे-सच्चें आंकडों से निजात मिल जाती है. शादी विवाह के अन्य खर्च तो बचते ही है.
बारात लाने-लेजाने का खर्च, मौसा-फूफा का बात बात में रूठना, मसलन मन होते हुए भी ऊपर से बारात में चलने की मना करना आदि, उनकी मनुहार आदि में काफी कमी आजाती है.
शादी के बाद होने वाले झगडें मसलन मायके जाने की धमकी आदि भी सुनने को नही मिलती और अगर कोई चला भी गया तो शाम होते होते वापस.
होने को और भी कई फायदें है तभी तो चोली गांव के लोगों ने इस प्रथा को चालू किया है.

शिव शंकर गोयल,
B8, Beuna Vista, Vakeshwar Lane,
Baner Pashan Link Road, PASHAN, PUNE. 411021.
Mob.9873706333.

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