*विचार – प्रवाह*

नटवर विद्यार्थी
किसी भी विषय पर अपने विचारों को मौखिक या लिखित रूप से व्यक्त करना अभिव्यक्ति कहलाती है । अभिव्यक्ति भाषण , वक्तव्य , चित्र , व्यंग्य , नाटक , नुक्कड़ नाटक , फ़िल्म , धरना – प्रदर्शन , नारेबाजी इत्यादि किसी भी रूप में हो सकती है । अभिव्यक्ति अपने विचारों को साझा करने , समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने एवं अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का सशक्त माध्यम है ।
अभिव्यक्ति की आज़ादी हमारा मौलिक अधिकार है । हमारे संविधान में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार प्राप्त है किंतु इस अधिकार को ढाल बनाकर आज देश में जो अप्रिय स्थितियाँ पैदा की जा रही है और माहौल विषाक्त बनाने की कोशिश हो रही है वो निस्संदेह चिंताजनक है । अभिव्यक्ति की आज़ादी की मर्यादाएँ हैं । देश की एकता , अखंडता , सम्प्रभुता , सामाजिक व्यवस्था एवं सौहार्द को अपने क्षुद्र स्वार्थों के कारण बिगाड़ने की इजाज़त किसी को भी नहीं दी जा सकती । लक्ष्मण- रेखा को पार करना देशहित में कदापि नहीं है ।अंत में इसी निवेदन के साथ –
अभिव्यक्ति की आज़ादी है ,
ख़ूब लिखो और बोलो ।
पर इतना भी ध्यान रखो तुम ,
ज़हर ना कोई घोलो ।

– नटवर पारीक

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