*विचार – प्रवाह*

नटवर विद्यार्थी
भारतीय संस्कृति में परस्पर अभिवादन शिष्टाचार का अंग है । अभिवादन के कई तरीके हैं ।दोनों हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर , मुस्कराते हुए “नमस्ते” कहने का भारतीय पारंपरिक तरीका संसार भर में अनूठा है । नमस्ते का प्रयोग किसी से मिलने अथवा विदा लेते समय सम्मान प्रदर्शित करने और अभिवादन करने के अर्थ में किया जाता है ।
संस्कृत में एक धातु है नम । नम का अर्थ है झुकना , सम्मान प्रदर्शित करना । इस धातु में ते जुड़ने से नमस्ते बना । ते संबोधन का शब्द है जो सामने वाले के लिए प्रयुक्त होता है । संस्कृत के त्वम शब्द का अर्थ है तुम, आप । इसी त्वम से हिंदी शब्द तुम और तू बना और इसी का ही एक रूप है ते । इस प्रकार नमस्ते का अर्थ है ,मैं आपके सम्मान में नत हूँ ।
नमस्ते का उच्चारण करने से शरीर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है । दोनों हाथ जोड़ने और हथेलियों पर दबाव पड़ने से सक्रियता आती है , मन शांत होता है और अहंकार नष्ट होता है ।
एक बात और महत्त्वपूर्ण है । जिसे हम नमस्ते करते हैं उसे भी दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते का जवाब नमस्ते से ही देना चाहिए ।ऐसा न करना अहंकार प्रदर्शित करना है जो उचित नहीं है । आदर सूचक इस शब्द को दैनिक जीवन में स्थान दें , अपना और सामने वाले का सम्मान बढ़ाएं ।

– नटवर पारीक

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