नारी तुम गुणों की खान हो

बी एल सामरा “नीलम “
नारी तुम महान हो ,राम की सीता हो और राधा कृष्ण की गीता हो ।पतिव्रता के आदर्श पर नारी तुम कुर्बान हो । कविवर जयशंकर प्रसाद ने कभी कहा था कि नारी तुम केवल श्रद्धा हो । अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी पर यह बात हो गई पुरानी ।यह बात अब सच नहीं, वह तो उस महाकवि की महज भावुकता थी । नारी तुम तो नर की जननी हो ।तुम गीत हो, तुम सृष्टि का खूबसूरत संगीत हो ।तुम सरिता हो, तुम धरती की सुन्दर कविता हो ।तुम कोमलता की मूरत हो, सत्य शिवं सुन्दरम् सी सुरत हो और नर नारायण दोनों की जरुरत हो । मां बहिन और पत्नी बनकर परिवार की शान बढाई तो झांसी की रानी बनकर जान की बाजी लगायी । गृहस्थी की गाड़ी का पहिया हो,सभी रिश्तों का सार तुम्ही हो । राम की सीता हो, कृष्ण की राधा रुक्मणी गीता हो, नारी तुम गुणों की खान हो । सती पार्वती सी करुणा तो तुम ने- विरासत में पायी और जरुरत पड़ी तो दुर्गा बनने में नहीं घबराई । ईश्वर की अभिनव कलाकृति हो तुम वर्तमान की तस्वीर हो । भविष्य की तकदीर हो । तुम विरासत का इतिहास और भारत की संस्कृति हो । नारी तुम महान हो, अपने पति के संकट में हे सावित्री तुम कुर्बान हो , नारी तुम महान हो !!

बी एल सामरा “नीलम ”
पूर्व प्रबन्ध सम्पादक कल्पतरू हिन्दी साप्ताहिक एवं सह संपादक मगरे की आवाज पाक्षिक

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