दुष्ट कोरोना

नटवर विद्यार्थी
रुक जा रे तू , दुष्ट कोरोना ,
मुश्किल है, लाशों को ढोना ।

मानवता को , तू निगलेगा ,
शीघ्र तीसरा , नेत्र खुलेगा ।
फिर तुझको , आयेगा रोना ,
रुक जा रे तू , दुष्ट कोरोना ।

जल्दी अपनी , पीठ दिखा जा ,
जहाँ से आया , वहीं चला जा ।
किया संक्रमित, कोना- कोना ,
रुक जा रे तू , दुष्ट कोरोना ।

अरे धूर्त, घाती ,खुदगर्ज़ी ,
नहीं चलेगी , तेरी मर्ज़ी ।
दूर हो गए, खाट – बिछौना,
रुक जा रे तू , दुष्ट कोरोना।

– *नटवर पारीक, डीडवाना*

error: Content is protected !!