*आज कल का यक्ष प्रश्न*

बी एल सामरा “नीलम “
महाभारत में पांडवों के 12 वर्ष के वनवास के समय एक सरोवर में पानी पीने से पहले यक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्न सर्वविदित हैं । ये प्रश्र देश , काल से परे हैं । जीवन मूल्यों से संबंधित प्रश्न हैं । लेकिन आज अब प्रश्न यह है कि क्या हमारे शास्वत जीवन मूल्य बदल गये हैं ? आइये , आज के माहौल में इन पर चर्चा करते हैं ।
मैं जूम एप पर अपने अभिन्न मित्रों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करने को उद्यत हुआ ही था कि श्रीमती जी की आवाज़ सुनाई दी ।
” आर्यपुत्र , आज घर में ना तो दाल है और ना ही कोई सब्जी । अगर भोजन करना हो तो दाल, सब्जी वगैरह लाने होंगे । तभी भोजन बन सकेगा ,आर्यपुत्र ।”
” भार्ये ,चिन्ता मत करो । हम अभी इसकी व्यवस्था करते हैं ” ।
और मैंने अपने छोटे पुत्र नकुलको आवाज लगाई और कहा कि
” वत्स, जाओ थोड़ी सब्जी और दाल लेकर आओ ” ।
” जो आज्ञा , पिता श्री ” ।
और नकुल कपड़े का थैला लेकर चला गया ।
काफी देर तक जब वह नहीं आया तो श्रीमती जी को चिंता होने लगी ।
वे बोली ,” आर्यपुत्र , नकुल अभी तक नहीं आया है । मेरा दिल धड़क रहा है ” ।
” घबराओ नहीं भार्ये । नकुल कोई ऐसा वैसा व्यक्ति नहीं है । महारथी है।आई आई टी टॉपर है । ”
” लेकिन मुझे चिंता हो रही है आर्यपुत्र ”
” वत्स अर्जुन तुम जरा जाकर देखो तो पुत्र ,नकुल अभी तक क्यो नहीं आया है । ”
” जो आज्ञा पिता श्री ” । कहकर अर्जुन भी चला गया ।
काफी देर के पश्चात भी जब अर्जुन वापस नहीं लौटा तो श्रीमती जी को ज्यादा चिंता होने लगी और बोलीं , ” आर्यपुत्र , अर्जुन को भी गये बहुत समय हो गया है । अभी तक वापस नहीं लौटा है। नकुल का भी कोई अता पता नहीं है। मेरा मन बहुत घबरा रहा है , आर्यपुत्र ” ।
मैंने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा ,
” भार्ये , हमारे अर्जुन जैसा श्रेष्ठ वकील इस त्रैलोक्य में नहीं है , इसलिए चिंता ना करो भार्ये , वह बस, आता ही होगा ” ।
काफी देर के पश्चात भी जब अर्जुन नहीं आया तो मुझे स्वयं को जाना पड़ा ।
बाहर निकल कर मैंने देखा कि लॉकडाउन के कारण सड़कें वीरान‌ हैं । मैं थोड़ा आगे गया तो देखा कि एक थानेदार बैरीकेडिंग लगाये बीच सड़क पर बैठा है । मैं बेरीकेडिंग के बीच से निकल ही रहा था कि उसकी कड़कती रौबदार आवाज आई ,” किधर जा रहा है , देखता नहीं लॉकडाउन लगा हुआ है और बेरीकेडिंग लगी हुई है ।
मैं बोला , ” हे देव‌। सड़क पर तो सबका समान अधिकार होता है । घर में सब्जी और दाल खत्म हो गई है देव । बस वही लेने जा रहा था ” ।
” सावधान , तुम मेरे प्रश्न का उत्तर दिये बिना आगे नहीं जा सकते । इन दोनों ने भी यही गलती की थी इसलिए इनको गिरफ्तार कर लिया गया है ” ।
मैंने उन दोनों पर निगाह डाली। नकुल और अर्जुन दोनों के हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी ।
मैं बोला ” पूछो देव । क्या प्रश्न है , आपका ? ”
” सत्य क्या है ?”
” जिस प्रकार सिक्के के दो पहलू होते हैं ,उसी प्रकार सत्य के भी दो पहलू होते हैं , जिसको जो पहलू नजर आता है ,उसको वहीं पहलू सत्य नजर आता है ”
” अभिशाप क्या है ?”
” आमजन होना ही सबसे बड़ा अभिशाप है , देव । ”
” वरदान क्या है ?”
” वी वी आई पी होना संसार का सबसे बड़ा वरदान है , देव ।”
” कलाकार किसे कहते हैं ?”
” गिरगिट से भी तीव्र गति से जो रंग बदलता हो वही कलाकार कहलाता है । ”
” जीवन का उद्देश्य क्या है ?”
” सत्ता प्राप्त करना ही जीवन का एकमात्र उद्देश्य है । ”
” स्वर्ग क्या है ?”
” दसों उंगली घी में और सिर कड़ाही में होना ही स्वर्ग है,देव । ”
” जीवन में चरम सुख क्या है ?”
” परनिंदा ही चरम सुख है, देव। ”
” ज्ञानी कौन है ?”
” येन केन प्रकारेण ,अपना काम निकालने वाला ही ज्ञानी है। ”
” करने योग्य कार्य कौन सा है ?”
” करने योग्य कार्य केवल एक है और वह है ‘ चमचागिरी’ ।”
” न करने योग्य कार्य क्या है ?”
” अपने बॉस की बुराई “।
” सबसे कठिन कार्य क्या है ?”
” थूककर चाटना सबसे कठिन कार्य है, देव ।”
” पुलिस का कार्य क्या है ?”
” निरपराध को अपराधी और अपराधी को निरपराध बताना ही पुलिस का कार्य है ”
” न्यायालय क्या है ?”
” एक ऐसा स्थान जहां सत्य को असत्य और असत्य को सत्य सिद्ध किया जाता हो ।”
” सरकार का क्या कार्य है ?”
” नया वोट बैंक बनाना और पुराने को पुख्ता करना ही सरकार का कार्य है ।”
” डरने योग्य क्या है?”
” धारा 3 और धारा 376 ”
” दुख कब होता है ?”
” पड़ौसन जब मैके चली जाती है , तब घोर दुख होता है । ”
” मीडिया क्या है ?”
” पैसे लेकर फेक खबर चलाना ही मीडिया है । ”
” सोशल मीडिया क्या है ?”
” गपशप करने और टाइम पास करने का सार्वजनिक मंच सोशल मीडिया है ”
” दुस्साहस क्या है ?”
” सत्य को सत्य कहना ही दुस्साहस है ।”
” आज की तारीख में मनुष्य को क्या करना चाहिए ?”
” आज की तारीख में मनुष्य को केवल अपने घर पर रहना चाहिए और सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए ।”
” मिसाइल से भी खतरनाक अस्त्र कौन सा है ?”
” थूक ” ।
” कृतघ्न किसे कहते हैं ?”
” बचाने वाले भगवान पर भी जो पत्थर मारे ,वे कृतघ्न कहलाते हैं।
थानेदार बोला ,” आपने मेरे समस्त प्रश्नों का सही सही उत्तर दिया है अतः आप अपने एक पुत्र को छुड़ा सकते हैं और दाल सब्जी लेने जा सकते हैं ”
मैंने कहा, ” देव अगर आप प्रसन्न हैं तो मेरे छोटे पुत्र नकुल को छोड़ दें ” ।
थानेदार चौंक कर बोला ,” वत्स, आपने अपने छोटे पुत्र को ही क्यों छुड़वाया ? आपका बड़ा पुत्र तो महाप्रतापी है , उसे क्यों नहीं छुड़वाया ?”
” भगवन् , इसके दो कारण हैं । पहला तो ये कि छोटा पुत्र मां को अति प्रिय होता है , इसकी मां इसे देखकर अति प्रसन्न होगी , अगर वो प्रसन्न रहेगी तो मैं भी प्रसन्न रह सकूंगा , दूसरा यह कि मेरा बड़ा पुत्र एक नामी वकील है और किसी वकील को ज्यादा देर तक गिरफ्तार करने की शक्ति किसी भी पुलिस अधिकारी में नहीं है । अभी थोड़ी देर में इसकी वकील सेना आ जायेगी और आपके थाने का वैसा ही विध्वंस कर देगी जैसा कि शिवजी की सेना ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस किया था । ”
” हम आपके ज्ञान और उत्तर से बहुत प्रसन्न हुए वत्स ,आपके बड़े पुत्र को भी हम रिहा करते हैं । वत्स कोई वर मांगो । ”
” अगर आप मुझ पर कृपालु हैं तो हमें एक ऐसा कार्ड दे दीजिए जिसे दिखाने पर कोई पुलिस कर्मी हमें परेशान नहीं करें ।”
और थानेदार ने अपना एक वीवीआईपी पास मुझे दे दिया । अपने मातहत से कहकर सब्जी वाले से फ्री सब्जी और दाल वाले से फ्री दाल दिलवा कर मेरे घर तक पहुंचवा दी ।
हम सब लोग सकुशल घर वापस आ गये , हम सबको देखकर श्रीमती जी बहुत प्रसन्न हो गयीं ।

प्रस्तुति सौजन्य
*बी एल सामरा नीलम*
पूर्व प्रबन्ध सम्पादक कल्पतरू हिन्दी साप्ताहिक एवं मगरे की आवाज पाक्षिक पत्र

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