कोरोना तो इंतजार में है

ओम माथुर
कोरोना खुश है। पिछले दो दिन में ही उसने सफलता के नए झंडे गाड दिए। लाकडाउन 3.0 सोमवार से ही शुरु हुआ और बीते 48 घंटों में देश-प्रदेश में रिकॉर्ड कोरोना के नए मरीज मिले और रिकॉर्ड मौतें हुई। लाक डाउन 3 में सडकों पर भीड और शराब की दुकानों पर बेशुमार शिकार देख कोरोना समझ गया भारत ने लाकडाउन के दो चरणों पर पानी फेरकर उसको फैलने का मौका दे दिया है।
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कोरोना दुखी था,जब भारत ने लाक डाउन ठीक समय पर दिया। अमरीका, इटली, फ्रांस, जर्मनी में अव्वल दर्जे की चिकित्सा सुविधाएं होने के बावजूद वहां कोरोना ने तबाही मचा दी। अस्पताल लाशों से पट गए, दफनाने की जगह नहीं मिल रही थी। वेंटीलेटर कम पड गए। लेकिन चिकित्सा सुविधाओं में पहले सौ देशों में भी शुमार नहीं होने वाले भारत ने उसके कदम थाम लिए।
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कोरोना खुश था,क्योंकि उसे उम्मीद थी कि हम गलती करेंगे। उसे पता था कि हम घरों में टिककर नहीं बैठेंगे और किसी न किसी बहाने बाहर निकल कर उन इलाकों में आने -जाने से भी नहीं चूकेंगे। जो हाट स्पाट हैं। हमने उसे निराश नहीं किया। क्योंकि एक ही इलाके से दर्जनों मरीज लगातार सामने आते रहे और चिकित्सा विभाग के सर्वे और स्क्रीनिंग के दावे ध्वस्त होते रहे। फिर हमारी सरकार ने कोरोना को दो न्यौते भेजे। पहले उसने श्रमिकों एवं विद्यार्थियों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए बसें और विशेष ट्रेनें चलाई और उसके बाद शराब की दुकानें खुलवा कर वहां लंबी-लंबी कतारें लगवाकर कोरोना अपने शिकार बनाने को कहा । इन दोनों फैसलों का असर अगले दो ससप्ताह में देखने को मिलेगा, क्योंकि कहा जाता है कि कोरोना वायरस के लक्षण दिखने में कम से कम 14 दिन लगते हैं।
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कोरोना दुखी था, जब उसे लग रहा था कि ना तो भारत में मरीजों के लिए न तो वार्ड कम पड़ रहे हैं । ना वेंटिलेटर और न ही दूसरे देशों की तरह यहां खूब मौतें हो रही है। ट्रेनों में बनाए गए आइसोलेशन वारड भी खाली पड़े हैं। सरकारों को भी यह लग रहा था कि जो तैयारी उन्होंने कोरोना से निपटने के लिए की है,उतना उपयोग अभी उनका नहीं हो पाया है। इसलिए ऐसे फैसले किए गए, ताकि भीड़ एक दूसरे से सटकर चले और कोरोना संक्रमण को फैलने में तकलीफ ना हो।
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कोरोना खुश है कि भारत ने उसे अब फैलने का अवसर दे दिया है। और पिछले 2 दिन के आंकड़े यह बता रहे हैं कि देश में मरीज और मौतें रिकॉर्ड संख्या में बढ़ रही है। जब देश में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं की जा रही हो और लोग लाकडाउन का लोग मतलब अभी नहीं समझ पाए हो। ऐसे में भीड़ बढ़ाने के फैसले क्या घातक साबित नहीं होंगे ? तभी तो कई संस्थान यह कयास लगाने लगे हैं कि भारत में आने वाले महीने कोरोना मरीज बढने के लिहाज से खतरनाक साबित हो सकते हैं

ओम माथुर/9351415379

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