बंद रहेंगे मंदिर मस्जिद, खुली रहेंगी मधुशाला

*शराब की बिक्री चालू हो जाने के बाद से ही आम जन अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है।आम जन की यह धारणा बन* *ग ई है कि अब यदि देश, राज्य, जिला और आपके क्षेत्र में Corona फैलता है तो इस के लिए देश के नागरिक व शहर के निवासी कतई जिम्मेदार नहीं होंगे। इसके* *जिम्मेदार सीधे तौर पर केंद्र सरकार व राज्य सरकारें एवं उनके मातहत जिला कलैक्टर व अन्य सरकारी अमले को माना जाना चाहिए। क्योंकि सरकारों ने अपने राजस्व को बढ़ाने और अपने चहेतों को खुश करने के लिए शराब के ठेके खुलवाकर आम जनता की लॉकडाऊन के नाम पर इतने दिनों की तपस्या* *को एक मिनट में नष्ट कर दिया।आम जन के साथ ‘धोबी का गधा घर का ना घाट का’ वाली बात घटित होग ई।सरकार के इस फैसले से आम जन खीज उठना वाजिब है।क्योंकि बेचारे सभी आम जन लॉकडाऊन के दौरान से ही अपने रोजगार, दुकानें, धंधे, फैक्ट्री* *छोड़कर नुकसान के* *साथ चुपचाप घर बैठे है। क्यों❓* *क्योंकि आम जन को देश की सुरक्षा का वास्ता दिया गया था। सभी ने प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन की एक एक बात व निर्देश का पालन किया।ऐसे में गरीब आदमी भिखारियों की तरह मांग मांग कर खा रहा है। 5 किलो आटे के लिए हाथ फैलाए खडा है। मध्यम वर्गीय परिवार अपना पेट काट कर अपनी इज्जत बचाने की कोशिश करने में लगा।ऐसे में धनी व समर्थ लोगों ने अपनी क्षमता के अनुसार दान देकर लोगों की मदद की।*
*लेकिन अब आम जनता का मानना है कि सरकार ने अपने आर्थिक लाभ को देखते शराब कि दुकानों को खुलवाकर अपनी इच्छा शक्ति को कमजोर साबित कर दिया है।*
*बहरहाल ‘दाई से पेट नहीं छुपा करता’…अब आम जनता भी जागरुक होकर सोचने लगी है।उसके सोचने में आ रहा है कि जिस तरह अभी दान दाता व भामाशाहों ने बाजी रखी उसी तरह यदि सरकार को पैसा चाहिए था तो एक बार फिर से अपील कर लेते देश के दानदाता व भामाशाहों से, वे फिर से दान देकर खजाना भर देते।साथ ही लॉकडाऊन में शराबी इतने दिनों से बिना दारू के जिंदा थे तो कुछ दिन और जिंदा रह लेते। लेकिन सरकार के एक गलत फैसले ने हर उस परिवार को निराश कर दिया जो सरकार के हर सही/गलत फैसले में सरकार के साथ खड़ा था।अब साफतौर पर आमजन यह मानने लगा है कि उसे सरकार के साथ लॉकडाऊन- लॉक डाऊन खेलते इतने दिन हो गए। सारी इच्छाएं मार कर, काम धंधे छोड़कर, घर पर पड़े है। हमारी अर्थव्यवस्थाएं भी बिगड़ गई लेकिन हमने नहीं सोचा जबकि सरकार ने बीच मंझधार में अपने फायदे के खातिर साथ छोड दिया।*
*_सर्वेश्वर शर्मा✒️*
*संपादक..* ‘कुछ अलग’
*अध्यक्ष..* मार्बल सिटी प्रेस क्लब,किशनगढ
*मो.9352489097*

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