खुशहाल जिन्दगी का रहस्य हंसना मुस्कराना हंसे और हंसाये part 3

मुस्कराना हमारा जन्म सिद्ध मोलिक अधिकार है

dr. j k garg
मुस्कराना हम सब का जन्म सिद्ध अधिकार है, जो हमको हमारे जन्म के साथ ही प्राप्त हो जाता है | नवजात शिशु अपने जन्म के एक सप्ताह बाद ही मुस्काना शुरू कर देता है एवं एक महिने का होने तक तो खिलखिला कर मुस्कुराता भी है | शोधकर्ताओं ने बताया है कि नवजात बालक दिन भर में लगभग 200 बार मुस्कराता है वहीं एक युवा और प्रोढ़ ओसतन दिन मे मात्र मुश्किल से सिर्फ 12 बार ही मुस्करातें हैं | शायद बालक मुस्कराते हुए अपने से बड़ों को देख कर सोचता है कि ये मुस्कराते क्यों नहीं हैं |

डा.जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—–डॉ टी एस दराल, चंचल मल चोर्डिया, मेरी डायरी के पन्ने, विभिन पत्र पत्रिकाएँ

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