खुशहाल जिन्दगी का रहस्य हंसना मुस्कराना हंसे और हंसाये part 7

dr. j k garg
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऐसे कई मानसिक रोग हैं जिनका इलाज केवल हास्य द्वारा ही किया जा सकता है अशान्ति की आग में आकुल-व्याकुल व्यक्ति के लिए हास्य एक वरदान होता है। | हंसते और खिलखिलाते चेहरे जहाँ एक तरफ सामाजिक सम्बन्धों को मजबूत बनाते हैं वहीं उनके चेहरे मानसिक रूप अधिक स्वस्थ भी दिखाई देते हैं | याद रक्खें कि मुस्कान का आदान-प्रदान ही जीवन की मुस्कान का राज है | प्रात:कल उठ कर सबसे पहिले एक मिनट तक प्रसन्न मन से जी भर कर मुस्कराएं | जो मुस्कान में जीता है और अपने मन से दूसरों को मुस्कान बांटता है उसका जीवन सही अर्थ में भगवान का प्रसाद बन जाता है |

हास्य में बाधक सामाजिक मर्यादाएँ

आज के तथाकथित सभ्य समाज में अकारण हँसने वालों को मूर्ख अथवा पागल समझा जाता है। सामाजिक मर्यादाओं के प्रतिकूल होने से बिना बात हँसने से लज्जा आती है। अतः घर में बच्चों के अलावा अन्य परिजन विशेषकर महिलाओं एवं वृद्धों का, धर्म संघ में संतों का, कार्यालय में पदाधिकारियों एवं नेताओं का समूह में ऐसी हँसी हँसना प्रायः असंभव होता है। दुःखी, चिन्तित, तनावग्रस्त, भयभीत, निराश, क्रोधी आदि हँस नहीं सकते |

डा.जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—–डॉ टी एस दराल, चंचल मल चोर्डिया, मेरी डायरी के पन्ने, विभिन पत्र पत्रिकाएँ

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