( 14 सितम्बर )
हवाई अड्डों, मुख्य 2 रेलवे स्टेशनों, बस स्टैन्ड तथा ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थानों पर इन भाषाओं में सूचनात्मक बोर्ड लगाए जाय.
इन क्षेत्रों के प्रसिध्द कवि, संत, सामाजिक एवं धार्मिक सुधारकों की जीवनियों को हिन्दी भाषी क्षेत्रों के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाय.
हिन्दी से इतर भाषाओं को हिन्दी के माध्यम से सीखने हेतु सस्ते मूल्य की पुस्तकें उपलब्ध करायी जाय.
केन्द्र के समस्त संस्थानों के अधिकारियों को अंग्रेजी का प्रारम्भिक ज्ञान अवश्य कराया जाय.
प्रयोग के तौर पर गायत्री संस्थान हरिद्वार द्वारा “मुस्कराते रहो” के त्रिभाषी स्टीकर निकाले हुए है जिसमें हिन्दी, इंगलिश के साथ 2 एक क्षेत्रीय भाषा का समावेश है-उदाहरणार्थ हिन्दी, इंगलिश और तमिल- ऐसे स्टीकरो के प्रचलन को बढावा दिया जाय. एक दूसरें प्रांत के लोग जहां जाय ऐसे स्टीकरों को होटल, रेस्टोरेंट में दें. इससे भाषायी सौहार्द बढेगा.
जिनको हिन्दी का ज्ञान है वह स्योशल मीडिया पर अंग्रेजी के साथ 2 हिन्दी में भी अपनी टिप्पणियां लिखें.
अंत में सभी देशवासियों से निवेदन है कि सभी भारतीय भाषाओं की उन्नति की कामना करते हुए राष्ट्र कवि स्व: मैथिलीशरण गुप्त की निम्न पंक्तियों का मनन करें
“मानस भवन में आर्यजन, जिसकी उतारे आरती, भगवन ! भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती.”
शिव शंकर गोयल