*देश सँवारो*

नटवर विद्यार्थी
हर कोई बंदूक उठाए ,
नहीं ज़रूरत ।
हर कोई सीमा पर जाए,
नहीं ज़रूरत ।
कई काम ऐसे है जिनको,
कर सकते हैं ।
चलो आज हम ऐसे छुटपुट ,
काम बताएं ।
दुनियां में लाखों प्राणी है ,
भूखे – नंगे ।
किसी एक निर्धन व्यक्ति का ,
भार उठाएं ।
कहीं मिले रोता बच्चा या ,
कोई बच्ची ।
उसको हाथ पकड़कर यारों ,
घर पहुँचाएं ।
बूढ़े मात- पिता को छोड़ा ,
जिन बेटों ने ।
ऐसे मात-पिता को उनका ,
हक़ दिलवाएं ।
हर कार्यालय में बैठे हैं ,
चोर- उचक्के ।
भ्रष्ट आचरण वालों को हम,
सबक़ सिखाएं ।
घूम रहे हैं खुली सड़क पर ,
कितने मजनूँ ।
नारी की रक्षा के ख़ातिर ,
आगे आएं ।
वंचित है स्कूल से अब भी ,
ढेरों बालक ।
सुबह- शाम घंटे-दो घंटे ,
मुफ़्त पढ़ाएं ।
राष्ट्रभक्ति के कई तरीके ,
होते यारों ।
आज अभी से आगे आकर ,
देश सँवारो ।
– *नटवर पारीक, डीडवाना*

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