क्या सुलझ पायेगा राजे व पूनिया के बीच चल रहे द्वंद का मसला?

तिलक माथुर
राजस्थान भाजपा में बढ़ती गुटबाजी पार्टी के लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच प्रतिष्ठा को लेकर पिछले वर्ष से चल रही अदावत अब भाजपा के लिए नुकसानदेय साबित हो सकती है। गुटबाजी को लेकर पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व बेहद नाराज है। पार्टी आलाकमान इस बारे में प्रदेश के बड़े नेताओं को पहले ही हिदायत दे चुका है। माना जा रहा था कि राजस्थान में चल रही गुटबाजी को लेकर कल रविवार को दिल्ली में आयोजित हुए भाजपा राष्ट्रीय सम्मेलन में इस विषय में चर्चा की जाएगी लेकिन सम्मेलन में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई। जबकि सम्मेलन में वसुंधरा राजे व सतीश पूनिया सहित प्रदेश के अन्य नेता मौजूद थे। दो दिन तक दिल्ली में चले बैठकों के दौर में प्रदेश के किसी भी नेता की बडे़ नेताओं से अलग से मुलाकात नहीं हुई। रविवार को दिनभर बैठकों का दौर चला और सभी का आमना-सामना इन बैठकों में ही हुआ। दोनों नेताओं राजे व पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की लेकिन अलग से इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई। वसुंधरा राजे तो लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पहली बार मिली हैं। हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने इस बारे में संगठन मंत्री चंद्रशेखर से लंबी बातचीत की और विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। नड्डा ने भाजपा के प्रदेश नेताओं को चेताया है कि गुटबाजी बढ़ी और उपचुनाव या किसी अन्य स्तर पर पार्टी को नुकसान हुआ तो गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने इशारों ही इशारों में प्रदेश के नेताओं को आपस में बातचीत कर मामला शीघ्र सुलझाने का भी निर्देश दिया। सूत्रों के अनुसार शीर्ष नेतृत्व ने आपसी गुटबाजी को कोर कमेटी की बैठक में सुलझाने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि कोर कमेटी की बैठक 23 फरवरी मंगलवार को जयपुर में आयोजित होगी। जयपुर में आयोजित होने वाली इस कोर कमेटी की बैठक में यूं तो विधानसभा उपचुनाव को लेकर चर्चा होगी और पर्यवेक्षक पैनल फाइनल कर संसदीय बोर्ड को भेजे जाएंगे। लेकिन इस बैठक में प्रदेश के पार्टी से जुड़े मामले सुलझाने के निर्देश दिए गए हैं। अब देखना है कि 23 को कोर कमेटी की बैठक में राजे व पूनिया के बीच चल रही प्रतिष्ठा की लड़ाई खत्म होती है या फिर जैसा है वैसा ही चलता रहेगा। उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे व उनके गुट के नेताओं को यह शिकायत है कि राजे को उनके कद के अनुरूप तवज्जो नहीं दी जा रही है, उल्टे उनकी उपेक्षा की जा रही है। जबसे सतीश पूनिया प्रदेशाध्यक्ष बने हैं तभी से वसुंधरा राजे ने राजस्थान की राजनीति व पार्टी गतिविधियों से दूरी बना रखी है। राजे के जन्मदिन 8 मार्च को वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा की चर्चाओं ने पार्टी नेताओं में खलबली मचा दी है। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की सियासी घटनाओं ने जोरदार तूफान ला रखा है। किसी ना किसी कारण से प्रतिदिन ही प्रदेश भाजपा में गुटबाजी उजागर हो रही है। हालांकि बड़े नेता किसी भी गुटबाजी को नकारते आ रहे हैं, लेकिन नेताओं के बयान यह साबित कर रहे हैं कि पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा।

तिलक माथुर
केकड़ी_राजस्थान

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