अस्पतालों के गेट बंद करना समाधान नहीं

राजस्थान में बेकाबू होते कोराना की हालत में अजमेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल जवाहर लाल नेहरू के गेट बंद कर दिए। राज्य के अन्य बड़े शहरों के भी यही समाचार है।
एक कहावत है मित्र,सगे संबंधी पत्नी की पहचान विपत्ति के समय होती है ।
विपत्ति के समय सरकार ने अस्पतालों के गेट बंद कर दिए। जिम्मेदार लोगों का एक वर्ग (मीडिया) आपदा काल में जिम्मेदारी निभाने की बजाय दहशत फ़ैलाने का काम कर रहा है। अस्पतालों के गेट बंद करना समाधान नहीं है। बल्कि इस कदम से लोगों में दहशत बढ़ी है। आम जनता को मूलभूत तथा आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व के साथ ही पुण्य का काम है। जिन्दगी की जंग से जूझते मरीज के परिजनों के लिए आशा की उम्मीद के ही दरवाज़े बंद कर दिए जाए तो जनता की भावनाएं भड़क सकती है।

जिम्मेदारी से भागने की जगह जिम्मेदारी निभाने व मदद के लिए आगे आने की जरूरत है। मौत सामने देख आंख बंद करने से मौत नहीं टलती । बिल्ली सामने देख मौत से बचने के लिए कबूतर आंखें करता है तो मौत नहीं टलती। समाजसेवी संस्थाओं लोगों ने मरीजों के लिए निशुल्क खून, आक्सीजन , भोजन धर्मशालाओं में रहने की व्यवस्था की है।

*निजी अस्पतालों होटलों धर्मशालाओं का अधिग्रहण करें*

गत वर्ष सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए निजी अस्पतालों होटलों धर्मशालाओं का अधिग्रहण किया था । लेकिन इस बार पोजिटिव की संख्या बढ़ने के बावजूद सरकार कोरोना पाज़िटिव को घरों पर रखकर इलाज के लिए जोर दें रही है। इसके बजाय कम लक्षणों वाले मरीजों की देखभाल धर्मशालाओं होटलों में रख कर की जा सकती है । इससे संक्रमण आसपास के क्षैत्र तथा परिवार में नहीं फैलेगा। मरीज तथा परिजनों के हौसले के लिए इच्छुक लोगों एक परिजन को भी साथ रहने की अनुमति दे सकते है।
*संक्रमण रोकने के सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।*
आवश्यक हो तो निजी तथा राज्यों राज्यों से चिकित्सक तथा पेरा मेडिकल टीम की सेवाएं ली जा सकती है। अनेक सामाजिक कार्यकर्ता संस्थाएं सहयोग को तैयार उनका भी सहयोग लेना चाहिए।

*बसों तथा अन्य साधनो से आवागमन बंद कुछ दिनों के लिए पूर्ण रूप से बंद करने की जरूरत है।*तथा कोरोना संदिग्ध मिलने पर उस क्षैत्र को तुरंत सीज करने की जरूरत है। जबकि हों यह रहा कि कोरोना पाज़िटिव के परिवार जन ही खुले आम बाजारों में घूम रहे हैं। यहां तक कि कोराना पाज़िटिव की मौत के बाद भी आसपास के क्षेत्र को दो दिनों तक सीज नहीं किया जिससे संवेदना जताने वालोें का मृतक के घर पर आवागमन चालू रहा तथा संक्रमण फैलने के खतरा बढ़ा

*कई कस्बों में रेंडम सेंपलिंग बंद कर दी गई है*। जिसे चालू करे ताकि शहरों में सेंपलिंग के लिए भीड़ नहीं बढ़े।
2-5-21

हीरालाल नाहर पत्रकार
9929686902

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