अकसर हास्य योग में एक्सरसाइज करवानेवाला लीडर बीच बीच में कहता है लम्बी सास ! अब आप तो जानते ही है कि हर किसी के तो लम्बी सास होती नही ऐसे में जिसकी सास लम्बी ना
हो तो वह क्या करें ? लीडर फिर कहता है सास को रोकिये, कभी कहता सास को छोडिये अब आपही बतायें अपने कहने सुनने से कही सास रूकेगी ?
हास्य क्लब में ही कही कही मूक हंसी या मौन हंसी करवाई जाती हैं. यह हंसी शादीशुदा लोगों के लिए बडी काम की चीज हैं. आपसी बातचीत में किसी अन्य के सामने कोई हंसी की बात उत्पन्न होने पर अकसर पति पहले पत्नि की तरफ देखता है. अगर वह हंसने लगती है तो फिर पति भी हंसने लगता है वरना मूक हंसी हंसता रहता हैं. हास्य योग की सीखी हुई्र विद्या वहां काम आती हैं. ऐसा ही ऑॅफिसों में भी होता हैं. वहां मातहत कर्मचारी हंसी की कोई बात आने पर पहले वहां मौजूद बडे साहब की तरफ देखते है और उनकी हंसी की मौन स्वीकृति मिलने पर ही आगे बढते हैं वरना मूक हंसी से ही काम चलाते हैं. हां अंतर इतना ही है कि घर गृहस्थी में तो पति-पत्नि कभी साथ साथ भी हंस लेते है लेकिन ऑॅफिसों में ऐसा नही करते है. वहां हंसी का काम सिनीयरिटी के क्रम में होता हैं यानि पहले बडे साहब हंसेंगे फिर छोटे साहब और अंत में उससे छोटे. इस तरह पदों के क्रम में हंसी चलती हैं. क्या मजाल जो क्रम बिगड जाय ?
वहां शेर दहाड की क्रिया भी करवाते है. वैसे तो यह गृहस्थ-आश्रम वासियों की दुखती रग को छेडने की कार्यवाही मानी जायेगी. आप ही बताइये शादी के बाद कोई व्यक्ति, चाहे वह ऑॅफीसर ही हो, घर में बीबी के सामने दहाड सकता है ? यह काम व्यक्ति शादी के पहले जितना चाहे करले शादी के बाद इसका कोई स्कोप नही हैं. शादी के सात फेरें लेते समय पंडितजी तो नही कहते लेकिन सात शर्तों में यह शर्त छिपे एजेन्डें के रूप में शामिल है जिसके अनुसार पति अपने दहाडने के अधिकार को साल दो साल में ही अपनी पत्नि को सरेन्डर करने की प्रतिज्ञा करता है हां यह बात अलग है कि वह चाहे तो अपने वयोवृद्ध माता-पिता पर गुर्रा सकता हैं.
बारहखडी हंसी :- (ह-हा-हि-ही-हु-हू) शायद यह हंसी वरिष्ठ नागरिकों को फिर से वर्णमाला की मात्राएं याद कराने के लिए होती होगी. यों बचपन में हम सबने यह सीखा हुआ होता है लेकिन क्या अ-आ अथवा क-ख-ग इत्यादि नही पढें है ? वह भी पढें है फिर क्यों वृद्धावस्था में आंखों का डाक्टर हमें दूर पटटी पर लिखें अक्षर पढवाकर पूछता है बोलिए, सामने पट्टी पर क्या लिखा है ? बचपन में मां-बाप और मास्साब अक्षर पढवाते है और वृद्धावस्था में आंखों का डाक्टर. इसी तरह हास्य योग में हमें बारहखडी याद करवाई जाती है कि कही भूल तो नही गए ? कई व्यक्ति हंसते समय इस बारहखडी को सीमितकर “ह” शब्द की बजाय “ख” शब्द से उच्चारित करते हुए हंसते हैं मसलन-खी-खी-खी- श. इस स्टाईल का अपना मजा हैं.
घोडा हिनहिनाहट हंसी :- इस हंसी में आदमी इस तरह हंसता है मानो कोई घोडा हिनहिना रहा हो. घोडा शक्ति का प्रतीक हैं. बडी बडी मशीनें हॉर्सपावर से ही जानी जाती हैं. घोडे के बारें में मशहूर है कि आप उसे जबरन पानी तक तो ला सकते है लेकिन उसे जबरदस्ती पानी नही पिला सकते (आप चाहे तो कभी कोशिश करके देखलें ) गीता में इन्द्रियों को घोडें की संज्ञा दी गई हैं. खैर, घोडा तो छोडिये आप उसकी मादा यानि घोडी (चाहे वह हीरानंद घोडीवालें की ही क्यों न हो) के बगैर शादी तक नही कर सकते इसलिए इस प्राणी की महत्वता बताने के लिए आपको, हास्य-योग में घोडा हिनहिनाहट हंसी करवाई जाती हैं.
रोअनी हंसी :-. इस हंसी में अगर आपको हंसनेवालें का चेहरा दिखाई ना दे तो आप अनुमान नही लगा सकते कि गोया वह हंस रहा है या रो रहा हैं. यह भी बडी उपयोगी हंसी है और वक्त बेवक्त काम आती रहती हैं. इसीलिए आपको बताई है.
पटियाला हंसी :- पटियाला की कई चीजें मशहूर हैं. दीवान जर्मनीदास ने कई वर्षों पूर्व लिखी “Maharajas” किताब में तत्कालीन राजा-महाराजाओं की कई रंगरेलियों का जिक्र किया हैं. ऐसे ही पीने-पिलानेवालों को पता होगा कि पटियाला पेग कितना मशहूर हैं. इसी तरह हास्य योग में पटियाला हंसी का अपना महत्व हैं. उन्मुक्त होकर हाथ पांवों को इधर उधर उछालते हुए हंसी निकाली जाती हैं ताकि आस-पास वालों को पता लग जाय कि कोई बंदा हंस रहा हैं.
आज्ञाकारी हंसी :- जिस देश में वजीर, सेनापति, हाथी-घोडें, प्यादें सब आज्ञाकारी होते है (मजाल है कि कोई चूं तक करले) वहां आज्ञाकारी हंसी सीखना लाजिमी हैं. यह हंसी आदेश देते ही शुरू और नजर उठाते ही तत्काल बंद हो जाती हैं. यह हंसी आपातकाल में भी शासकीय हल्कों में बडी काम आती थीं. कइयों की आजमूदा (अर्थात आजमाई हुई) हैं.
लम्बी हंसी :- इसमें आप इतना जोरसे हंसते है कि आपकी आवाज से दूर दूर तक लोगों को पता लग जायकि आप हंस रहे हैं. यह ठीक वैसे ही है जैसे टेलीफोन या मोबाइल पर बात करते समय कई लोग ऐसे बोलते है मानो फोन की बजाय सीधे ही अपनी उॅची आवाज सामनेवालें तक पहुंचा रहे हो. उनका मानना है कि वह टेलीफोन वार्ता ही क्या जिससे पास पडौसवालें डिस्टर्ब ना हो.
कॉकटेल हंसी :- यह कई हंसियों का मिश्रण हैं. इसको करते रहने से आपको कॉकटेल पार्टी की याद बनी रहती है. कही आप भूल न जाय.
दिलखोल हंसी :- इसका उद्धेश्य यह है कि अगर अब भी आप दिल खोलकर नही हंसे तो फिर एपेलो या एस्कोर्ट हस्पताल वालें आपका दिल खोलेंगे. इसलिए रोज खिलखिलाकर हंसे और सबको हंसायें.
Prefix & suffix हंसी :- इस हंसी का मतलब है घटना से पहले अथवा बाद में हंसना. यह हंसी निराली है और कभी कभार ही घटती हैं. एक बार मुझे बच्चों को लेकर दिल्ली के सुन्दर नगर स्थित चिडियाघर जाना पडा. वहां एक बाडें में बहुतसे जानवर खडे खडे हंस रहे थे लेकिन मजे की बात है कि वहां एक गधा भी चुपचाप खडा था. संयोग की बात देखिए कि तीन_चार रोज बादही कुछ मेहमानों के साथ मेरा वहां दुबारा जाना होगया तो मैंने आश्चर्य से देखा कि और सब जानवर तो चुप खडे है या कुछ दाना-पानी चर रहे है लेकिन वह गधा हंस रहा हैं. मैंने कौतुहलवश जब चिडियाघर के कर्मचारी से पूछा तो उसने बताया कि आजके तीन-चार रोज पहले मैंने इनको एक चुटकला सुनाया था. उसे सुनकर बाकी सभी जानवर तो उसी समय हंस दिए लेकिन यह गधा आज हंस रहा हैं.
उपरोक्त के अलावा भी बतखहंसी, कूकरहंसी, निशानासाध हंसी, छोंकनी हंसी (दाल-सब्जी में बघार लगाते समय होनेवाली आवाज), रावणहंसी, मेघनाद हंसी, वन मीटर लाफ्टर इत्यादि कई हंसी है और सबके पीछे उनका छिपा एजेन्डा हैं.
शिव शंकर गोयल