सूफी दरवेश खुद के सूफी होने का शोर नहीं मचाते है! वह दरवेशी का मजमा नहीं लगाता है!
कोई सूफी दरवेश दिन भर रिक्शा चलाता था और रात मैं दरवेश हो जाता था! कोई दूसरे सूफी महात्मा दिन भर होटल में बर्तन धोते थे और रात को हजरत हो जाते थे! मुंशी राम चंद्र जी अदालत में नौकरी करते थे! किसी को पता ही नहीं था कि वे सूफी दरवेश है! बुल्ले शाह आम के बगीचे में बागवानी करते थे! ऑफिस इब्राहिम मोहम्मद साहब घड़ी की दुकान करते थे! क्या मजाल की किसी को इनके हजरत होने की भनक लग जाए! इनके बाद लोगों ने इनके नाम का कीर्तन जरूर किया!
सूफी तो खुदा के तसव्वुर का साकार रूप होता है! उसे तुम्हारी जय जय कार नहीं चाहिए! उसे तुम्हारे धन दौलत की जरूरत नहीं है! वह तो अपने ईमान में संतुष्ट है! वह अंदर से चुप है, अंदर से मौन है! सूफी होना कठोर तपस्या है! मन वचन और कर्म की तपस्या है!