नरेन्द्र मोदी है किस्मत के सिकंदर

महेन्द्र सिंह

-महेन्द्र सिंह-
यह कहावत हमारे देश में कई बार चिर्ताथार्त हो चुकी है और अबकी बार गुजरात का चुनाव पूरा देश मोदी के जादू को फटी नजर से देख रहा है । मोदी हव्वा खड़ा करने में माहिर और इसबार भी इस में वो सफल होगये क्यों की उनके किस्मत सिकन्दर थे पहले तो उनके पास ऐक ही हव्वा था कि मोदी अगर नही आएगे तो मुस्लमान हावी हो जायेगा परन्तु यह मुदा पिछले कुछ समय से कमजोर होने लगा था ईधर केसू भाई ने विरोंध में बिगुल बजा दिया और पटेलो के वोटो से अपनी सरकार बनाने का ऐलान कर दिया ये भी इसलिए हुआ क्यों की मोदी के किस्मत सिकन्दर थे गुजरात में दूसरी जातिया पटेलो के वर्चस्व से भी दुखी है उन कमजोर लोगो को लगा कि पटेल सत्ता में आगये तो हमारी खेर नही है । मोदी के पास पहले जो मुस्लिम हथियार था जो कुछ कमजोर हो गया था अब उनके दुसरे हाथ में पटेलो के विरोध का हथियार हाथ लग गया और जो वोट मोदी दूर जाने वाले थे वो रुक गये क्यों की मोदी के किस्मत सिकन्दर थे ।
इस बार यदि केसू भाई विरोध नही करते और केवल चुप हो जाते तो गुजरात का नक्शा कुछ और ही होता परन्तु इस परिवर्तन को रोकने के लये तो चालाक मोदी ने गुजरात के चुनाव से पहले ही अपने प्रधानमन्त्री वाली बहस को हवा देदी इससे मोदी को बहूत फायदा हुवा उससे अपने दिल्ली जाने के बाद कई दुसरे दर्ज़े के कई नेताओ को मुख्यमंत्री बना कर जातिगत वोटो के बिखराव को रोका था और उस बहस से हमारा कारपरेट जगत के लोग तो अंदर ही अंदर मोदी के पास अपने समर्थन की राशि बढ़ाकर सरकना जारी कर दिया जिस से मोदी को भूके वोटरों का पेट भरने में आसानी रही और ये सब तब होता है क्यों की मोदी के किस्मत सिकन्दर थे और जितने के बाद तो हमारा कारपरेट जगत तो  मोदी को प्रधानमन्त्री मान ही चूका है और अपनी नजदीकया बढ़ा रहा है ।
मोदी कोई प्रधानमन्त्री बनने वाले नही है ना बी जे पी उनको बनाने वाली है नाही सहयोगी दल इसपर राजी होने वाले है इस बात को मोदी भी अछी तरह से जानते है उन्हें तो गुजरात में ही रहना है और आगे तो किस्मत सिकन्दर हो तो उपरवाला जाने । केवल गुजरात को पकड़े रहने में सफल होगये क्यों की मोदी के किस्मत सिकन्दर थे ।

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