क्या होता है लग्न दोष?

जानिए इसके कारण और निवारण
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राजेन्द्र गुप्ता
जन्म कुंडली में कोई न कोई दोष जरूर मिलता है ऐसी कोई कुंडली नहीं होगी जिसमें कोई दोष न हो, कुछ दोष गंभीर होते है तो कुछ दोष सामान्य से होते है। लग्न दोष कुंडली में बनने वाला सबसे बड़ा दोष है क्योंकि यह लग्न-लग्नेश से बनता है और लग्न-लग्नेश जातक खुद है। यदि लग्न लग्नेश ही दोष युक्त हो जाता है तो अन्य शुभ योग ग्रहों के द्वारा कुंडली में बनने पर भी ग्रह अपने शुभ योगों का अच्छा फल नही दे पाते और अशुभ योग अपने अशुभ प्रभाव में वृद्धि कर देते है।

लग्न दोष कैसे बनता है?
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जब लग्नेश अस्त हो गया हो,लग्न में बेठे ग्रह अस्त हो, लग्नेश 6, 8, 12 भाव में चला गया हो, लग्नेश के 6, 8, 12 भाव में जाने से लग्नेश कमजोर हो जाता है क्योंकि 6 भाव रोग कर्जे का में 8 भाव मृत्यु के भाव में और 12 भाव खर्चे के घर में जाने से खुद के शरीर पर ज्यादा खर्चा होना अस्पताल में रोग का उपचार कराने पर तो इस तरह जब लग्नेश 6, 8, 12 में होगा तो शरीर ही साथ नही देगा तो अन्य राजयोग या योग भी क्या फल देगे और जातक क्या भोगेगा इन राजयोग को।

लग्नेश के अंश 0,1, 2, या 28, 29, 30 हो और अशुभ ग्रहों का लग्नेश या लग्न पर प्रभाव होने से लग्न दोष लग जाता है।

लग्नेश मंगल शनि हो और यह 6 भाव में हो तो यह ज्यादा ख़राब नहीं होते क्योंकि नैसर्गिक रूप से शनि मंगल 6 भाव में सामान्य शुभ फल देंगे।

लग्न लग्नेश का पाप कर्तरी योग में होना लग्न दोष बनाएगा। लग्न के दोनों और मतलब दूसरे और बारहवे भाव में या लग्नेश जिस भाव में है उस भाव के आगे और पीछे के भाव में पाप/क्रूर ग्रहो के होने से कोई शुभ प्रभाव न हो तो लग्न दोष का फल मिलता है।

6, 8, 12 भाव के स्वामी ग्रहों लग्न में बेठना या शनि राहु मंगल या इनमे से किन्ही दो ग्रहों का एक लग्न में बेठना या लग्नेश के साथ बैठना लग्नदोष देगा।लग्न लग्नेश पर जितना ज्यादा अशुभ प्रभाव होगा उतना ही गम्भीर लग्न दोष होता है।

लग्न में या लग्नेश के साथ किसी अशुभ योग का बनना भी लग्न दोष बनाएगा।

लग्न दोष का फल-
———————– लग्न दोष जातक के जीवन को संघर्षशील बना देता है लग्नेश जिस भाव में बैठकर लग्न दोष बनाता है उस भाव से सम्बंधित और लग्न के फल जैसे मान-सम्मान, अच्छे स्वास्थ में कमी करना जैसी स्थिति बनाता है। लग्न दोष होने से अन्य ग्रह भी शुभ स्थिति में होने पर अपना पूरी तरह से शुभ फल नही दे पाते है जातक को जीवन से असंतुष्टि रहती है। लग्न दोष निवारण का उपाय करना कुंडली में बने शुभ योग और सौभाग्य में वृद्धि की जा सकती है।

लग्नदोष निवारण-
———————- लग्न दोष होने पर यदि लग्नेश 6, 8, 12 में न हो तब सबसे उत्तम उपाय में लग्नेश का रत्न पहनना चाहिए या रत्न किसी वजह से न पहन सके तब लग्नेश का मन्त्र जप करना चाहिए।
लग्नेश जिन पाप/अशुभ ग्रहों के प्रभाव में है उन ग्रहों का जप और सम्बंधित वस्तुओं का दान करके ऐसे ग्रहों की शांति करनी चाहिए।
लग्नेश नीच राशि का होकर लग्न दोष बनाए तब लग्नेश का रत्न कभी नही पहनना चाहिए ऐसी स्थिति में लग्नेश का मन्त्र जप करने पर ही लाभ मिलता है। यदि लग्नेश को शुभ प्रभाव किसी ग्रह का मिल रहा हो तो उस ग्रह के शुभ प्रभाव में वृद्धि करने का उपाय करना चाहिए। लग्न लग्नेश को जितने ग्रह पीड़ित या अशुभ प्रभाव में लेकर दोष युक्त बना रहे हो उन ग्रहों की हवन कराकर शांति करानी चाहिए और जितना हो सके लग्न लग्नेश को बल देने के उपाय करने चाहिए।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076

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