सभी एक जैसे हैं

पिछले एक सप्ताह से
पीछा कर रहे पुरूष
से स्त्री को किसी
साहसिक कदम उठाने
की अपेक्षा थी पर
पुरूष था कि जैसे
कोई हैडमेड पहनकर
साईकिल चला रहा हो ।
इस स्थिति में कौन
पहल करे निर्णय
करना कठिन था । फिर
भी पुरूष ने कह ही
दिया कि क्या हम
दोस्त बन सकते हैं ?
बन सकते हैं ।
दोतीन दिन तक
हॉयहैलो होती रही
और 12 सप्ताह में
दोनों खुलकर बातें
करने लगे ।
बातें कितना समय
लगा दिया इतनी सी
बात बोलने में। मैं
हिम्मत नहीं जुटा
पा रहा था । कोई बात
नहीं । क्या हम आपके
घर में मिल सकते हैं
?मिल सकते हैं पर एक
शर्त है । क्या ? कभी
तुम्हे मेरे पति
मेरे साथ किसी कमरे
देखते हैं तो तुम
चोर हो, यदि हमारे
अंतरंग संबंध प्रकट
होते हैं तो तुम
मुझसे जबरदस्ती कर
रहे हो, और हमारे
संबंध आसपास चर्चित
होते हैं तो तुम
रास्ते के लफंगे हो
क्या तुम्हें मंजूर
है ? पुरूष हामी भर
दी ।
स्त्री के पति ने
दोनों को अवर्णित
स्थिति में देखा ऐ
हीरो, बीबी के साथ
बच्चे मुफ्त। आधा
खर्च आज से तुम
उठाओगे । मेरी भी
प्रेमिका मेरी तलाक
करवाने के लिए दबाब
बना रही है ।
वह पुरूष बोला मैं
तो अभी तक कुँवारा
हूँ और शादी के झंझट
में नहीं फंसना
चाहता, मैं कसूरवार
न कहलाऊ इसलिए
सिर्फ रात में फोन
करके आता हँू ।
पत्नी सिर्फ सुनती
है और कुछ बोल पाने
की स्थिति में नहीं
है । यहाँ सब एक जैसे
हैं ।”

-सरिक खान 

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