निःशब्द हूँ मैं, निःशब्द हूँ मैं

हसरत है मेरी न हो मेरे पास कोई शब्द,
वो शब्द जो किसी के अंतर्मन को चोट पहुंचाए,
वो शब्द जो किसी को आहत करे,
निःशब्द हूँ मैं क्योंकि मेरे पास कोई शब्द नहीं है।

नहीं है मेरे तरकश में शब्दों के वो तीर,
वो तीर जो इर्ष्या की उपज है,
वो शब्द जो खुदगर्जी की उपज है
निःशब्द हूँ मैं क्योंकि मेरे पास कोई शब्द नहीं है।

नहीं है मेरी कलम में झूठ का सहारा लेनी की हिम्मत,
नहीं है मेरी कलम में सच पर पर्दा डालने की ताकत,
मेरी कलम में वोह श्याही नहीं जो मेरे जज्बातों में बह जाये,
निःशब्द हूँ मैं क्योंकि मेरे पास कोई शब्द नहीं है ।

तलाश मेरी जारी है, जाने कब किस शब्द की बारी है,
शब्द ऐसे जो न लगे किसी के साइन में तीर की तरह,
शब् ऐसे जो ना लगे खंजर की तरह,
निःशब्द हूँ मैं, निशब्द हूँ मैं

 

-हनु तंवर “निःशब्द”

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