लोकतन्त्र का सबसे बड़ा ये त्योंहार,
मत देना हम सभी का है अधिकार।
करना निस्वार्थ होकर सभी मतदान,
राष्ट्रहित में बनाएं आज ये सरकार।।
निश्चय करके ही फिर वोट तुम देना,
ऐसे अवसर से कोई वंचित न होना।
बिक न जाना नशे व कुछ रुपयों में,
बहकावे और लालच में नही आना।।
आज स्त्री पुरुष जागरुक हो जाओ,
खुशी खुशी से मत केन्द्र पर जाओ।
स्वतन्त्र होकर सब कर्तव्य निभाओ,
न्याय देशप्रेमी अपना नेता बनाओ।।
कदम मिलाकर जो सबके संग चले,
संयुक्त परिवार पूरे देश को वो माने।
ऐसे महान इन्सान को हम नेता चुने,
दुःख व दर्द हर निर्धन का जो जाने।।
एक-एक मत की कीमत को समझे,
१८ अवस्था में जिम्मेंदारी समझ ले।
सारा सच उम्मीदवार विजयी बनाएं,
घरो से निकले और मतदान कर ले।।
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान