बापू को हमेशा याद रखेगा हिंदुस्तान

dr. j k garg

आईये जानिये कि हमारे देश के अंदर 30 जनवरी के अतिरिक्त किन किन दिन शहीद दिवस को मनाया जाता है | आपको यह जान कर के आश्चर्य होगा कि 23 मार्च,13 जुलाई,17 नवम्बर और 19 नवम्बर को देश के विभन्न राज्यों में शहीद दिवस मनाया जाता है | 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया गया था, उनकी स्मृति में देश के कई प्रांतों में शहीद दिवस मनाया जाता है | 13 जुलाई 1931 को  कश्मीर में  राजा हरि सिंह की अंग्रेजी सैनिकों ने लोगों की हत्या कर दी थी | इस भयावह घटना चक्र में 22 लोग मारे गये थे | उन 22 लोगों की याद में हर वर्ष 13 जुलाई को जम्मू और कश्मीर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता हैं | शेरे है पंजाब के नाम से प्रसिद्ध महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय की मृत्यु “साइमन कमीशन” के विरूद्ध के प्रदर्शन करते समय अंग्रेजी पुलिस के लाठियों के प्रहार से हो गयी थी ( तब लालाजी नें कहा था मुझे मारी गई एक एक लाठी अंग्रेजों के राज्य के अंत और उनके कैफीन पर एक एक कील का काम करेगी) | लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि को मनाने के लिये उड़िसा में शहीद दिवस के रुप में 17 नवंबर के दिन को मनाया जाता है। झांसी में (रानी लक्ष्मीबाई का जन्मदिन) 19 नवंबर को भी शहीद दिवस के रुप में मनाया जाता है। ये उन लोगों को सम्मान देने के लिये मनाया जाता है जिन्होंने वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान अपने जीवन का बलिदान कर दिया। प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को देश भर में पुलिस विभाग पुलिस शहीद (Police’s Martyrs Day) दिवस मनाता है क्योंकि 21 अक्टूबर 1959 को भारत चीन सीमा पर चीनियों दुवारा अनेक पुलिसकर्मी मार डाले गये थे |

शहीद कहलाने के हकदार वो ही इन्सान होते हैं जो सही अर्थों में इतिहास बनाते हैं | सच्चाई यही है कि अत्याचारी शासक के मरते ही उसका शासन भी खत्म हो जाता है, किन्तु दूसरी तरफ शहीद के मरते ही जनमानस के हृदय में उस शहीद का शासन प्रारम्भ हो जाता है। जिन महापुरुषों ने हिंदुस्तान की आजादी और भारतवासियों के कल्याण एवं उत्थान हेतु अपने प्राणों की बलि दे दी थी उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिये हमारे मुल्क में शहीद दिवस मनाया जाता है | राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जन्म से तो बनिया थे लेकिन वो इंसानियत को ही अपना धर्म मानते थे। बापूजी अहिंसा के पुजारी थे और अहिंसा को आजादी पाने के लिये सबसे अच्छा हथियार मानते थे। मन में सवाल उत्पन्न होता है कि भारत में 30 जनवरी को क्यों शहीद दिवस मनाया जाता है ?

30 जनवरी 1948 की शाम को जब बापूजी अपनी नियत प्रार्थना सभा में जा रहे थे तब हिन्दू चरमपंथी नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारकर हत्या कर दी थी तभी से  महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। प्रतिवर्ष 30 जनवरी को प्रातः काल 11 बजे सारे  राष्ट्र में सायरन बजाया जाता है , तब अविलम्ब सारे नागरिक जहाँ कई भी वो हो 2 मिनट के लिये मौन रहकर शहीदों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते है । दो मिनट के बाद 11.02 बजे वापस सायरन बजता है और लोग अपना काम वापस प्रारम्भ कर देता है |

पिछले कई वर्षों से तो ऐसा लगता है कि हम 30 जनवरी को शहीद दिवस को मनाने की केवल औपचारिकता ही निभा रहे हैं |  एक तरफ तो हम बापूजी के नाम की दुहाई देकर सत्ता प्राप्त करते है वहीं गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को सच्चा देशभक्त बताते हुए  बापू की देश भक्ति पर सवाल उठाते हुए उन्हें कठघरें में खड़ा करने का कुत्सित प्रयास करते हुए संसद के सदस्य तक बन जाते हैं |

बापूजी ने तो आजाद भारत में उस राम राज्य के सपने सपने संजोये थे जहां मुस्लिम भी राम को इमामे हिद मानकर अपने दिल में राम के आदर्शो का  दीपक जलाये | बहुसंख्यक समाज मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च का आदर करे | जहाँ  श्मशान  कब्रिस्तान के विवाद नहीं हो | काश ऐसा हो पाता  ;; |          सार्वजनिक कार्यक्रमों में बापूजी को गाली गलोच देकर अपने को आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं | दुःख तो इस बात का है कि कुछ लोग तालियां बजा कर उनका उत्साह वर्धन करते हैं जबकि अन्य बापू और देश भक्तों के खिलाफ अनर्गल बाते सुन कर भी मोन धारण कर लेते हैं | ऐसा सब कुछ होता देख कर महसूस होता है कि यह सब समय की बलिहारी ही है|

डा. जे.के.गर्ग

पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर

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