*बचपन संवारने से पहले छत की दरकार*

*संवेदनशील प्रशासन के सामने खड़ी हुई मुश्किल*

मुजफ्फर अली

अजमेर में भीख मांगते, श्रम करते और किसी कारणवश अपने घर से भागे बच्चों का जीवन सुधारने के लिए प्रयासरत जिला प्रशासन के सामने एक नई समस्या खड़ी हो रही है। विशेषकर पुलिस प्रशासन और बाल विकास समिति इस असमजंस स्थिति में पहुंच चुके हैं कि आने वाले दिनों में पकड़े गए बच्चों, नाबालिग बालक बालिकाओं को किस छत के नीचे संरक्षण दें। सूत्र बताते हैं कि निजी संस्थाओं ने लिखकर दे दिया है कि उनके यहां बच्चों को ना भेजा जाए। सरकारी बाल संरक्षण ग्रह में जगह नहीं है। उपर से अगले माह मार्च में निजी बाल संरक्षण संस्थानों का कार्यकाल भी समाप्त होने वाला है ऐसे में पुलिस और बाल विकास समिति के सामने अजमेर में पकड़े जाने वाले बड़ी संख्या में बच्चों को रखने के लिए सिर्फ सरकारी बाल संरक्षण ग्रह ही बचते हैं जहां पहले से ही जगह नहीं बची है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि दूसरे राज्यों से भागकर  अजमेर पहुंचने वाले नाबालिग किशोरों में अधिकतर अपराध की राह के मुसाफिर हैं। चोरी, नशे की लत, बलात्कार जैसे संगीन अपराध किए हुए बालक इस समय अजमेर में सरकारी बाल सरंक्षण ग्रह में पनाहगार है, ऐसे बालकों के बीच सामान्य बालकों को रखना उचित नहीं है और यही कारण पुलिस और बाल विकास समिति के लिए चिंताजनक बन गई है। इसलिए इन दिनों प्रयास यह किया जा रहा है कि पकड़े गए बच्चों को उनके माता पिता, सरंक्षण के पास जल्द से जल्द भेजा जाए ताकि भार कम हो। बाल संरक्षण ग्रहों में जगह की कमी और उर्स या पुष्कर मेले में बड़ी संख्या में पकड़े जाने वाले बच्चे या नाबालिग किशोर जेबकतरी, मोबाईल चोरी, मारपीट, नशे के लत में पड़े हुए पकड़े जाते हैं, ऐसे बालकों को उचित देखभाल के साथ साथ गंभीरता से उनकी काउंसलिंग भी होती है और इसके लिए बड़ी जगह भी चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला बाल विकास समिति की अध्यक्ष श्रीमति अंजलि शर्मा ने राज्य सरकार से अजमेर में खुला बाल संरक्षण घर खोले जाने की मांग की हुई है। करीब दो साल पहले ही श्रीमति अंजलि शर्मा ने राज्य सरकार को इस संबंध में लिख दिया था लेकिन इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं हुई, नतीजन अब बच्चों की बढती संख्या और जगह की कमी नें चिंता बढा दी है। जिला कलक्टर ने भी होम का निरीक्षण कर जानकारी ली है।
. मुजफ्फर अली
लेखक एंव पत्रकार
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