
अब ना रुकेंगे घुसकर मारेंगें तेरे ही घर हथियारों से।
काटेंगे और कुचलेंगें अब तुझको हम अपनें पाॅंवो से,
ऐसा ताबीज़ कर देंगे बचके रहना हम पहरेदारों से।।
कर देंगे अब ध्वस्त ठिकाने हिजबुल जैश लश्करों के,
ऑपरेशन सिंदूर चलाकर देंगे ज़वाब तुम हत्यारों के।
लेगा अब प्रतिशोध भारत तुम पाकिस्तानी ग़द्दारों से,
ईंटों का ज़वाब पत्थर से देंगे तुम जैसे मक्कारों के।।
अब बचा नही सकता कोई देश तुम जैसे शैतानों को,
रक्त की नदियां बहा देंगे उजाड़ देंगे तुम्हारे अड्डों को।
प्रतिउत्तर बिगुल बज गया मिल गया फरमान हमको,
ये आतंकवाद मिटाने के लिए करेंगे ऑपरेशनो को।।
ये कायरों वाला काम किया अब बख़्शा नही जायेगा,
निर्दोषों को मारने वाले तू अब चैन से ना रह पायेगा।
क्या-क्या कर सकता है भारत अब तुझको बताएगा,
तुम्हारी धरती को क़ब्रिस्तान ये हिंदुस्तान बनायेगा।।
अब एक-एक कतरे का हिसाब लेंगे हमारे नौजवान,
निकल पड़े है कफ़न बाॅंधकर जो है आन बान शान।
शान्ति की भाषा समझ न आई तुझे अरे ओ बेईमान,
गीदड़ की तरह लोग बिलखेगे अब तेरे पाकिस्तान।।
रचनाकार

गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान