आस्था और श्रद्धा से सरोबार है मालपुरा जैन दादाबाड़ी

-उज्ज्वल जैन- मालपुरा। जैन श्वेताम्बर धर्मानुयायियो के लिए मालपुरा में स्थित श्री जिन कुशल सूरी जी महाराज की प्रत्यक्ष दर्शनस्थली करोडो श्रद्धालुओ की आस्था का केन्द्र है जहाँ प्रतिवर्ष दादा गुरूदेव के दर्शनो की लालसा बरबस ही भक्तो को अपनी ओर आकर्षित करती है। दादाबाडी राजधानी जयपुर से लगभग 100 कि.मी. की दूरी पर बसे मालपुरा (टोंक)कस्बे में टोडा-जयपुर मार्ग पर ट्रक स्टैण्ड पर स्थित है। दादाबाडी लगभग बीस बीघा में फैली हुई है जिसमें भव्य मंदिर के अतिरिक्त आवास के कमरे, भोजनशाला, कर्मचारियो के आवासगृह स्थित है। दादाबाडी में दादागुरूदेव के चरण सहित मूलनायक वासुपूज्य भगवान के मंन्दिर, शंखेश्वर पाश्र्वनाथ व अम्बिका माता का मन्दिर स्थित है। कहा जाता है कि 678 वर्ष पूर्व दादागुरूदेव के स्वर्गारोहण के 15 दिवस पश्चात दादा गुरूदेव ने यहाँ अपने प्रत्यक्ष दर्शन दिए थे जिससे दादाबाडी को दादागुरूदेव की प्रत्यक्ष स्थली भी कहा जाता है तब से लगातार फाल्गुन बुदी अमावस्या को स्वर्गारोहण जयन्ती एवं प्रत्यक्ष दर्शन के दिन फाल्गुन सुदी पूर्णिमा को विशेष आयोजन किए जाते है। दादाबाडी का संचालन श्री जैन श्वेताम्बर खतरगच्छ संघ ट्रस्ट द्वारा किया जाता है । दादाबाडी में लगातार बीस वर्षो से निर्माण कार्य जारी रहने के पश्चात सन 2002 में दादागुरूदेव सहित मंदिर की भव्य प्राणप्रतिष्ठा की गई थी एवं वास्तुशिल्प का कार्य करने वाले कारीगरो ने अपनी जी तोड मेहनत से वास्तुशिल्प को विशेष स्वरूप प्रदान कर स्थापत्य कला के बेजोड नमूने प्रस्तुत किए है जो विशेष आकर्षण का केन्द्र है। स्वर्गारोहण जयन्ती व प्रत्यक्ष दर्शन दिवस पर भव्य मेलो का आयोजन किया जाता है जिसमें सम्पूर्ण भारत से ही नहीं अपितु विदेशो से भी दादागुरूदेव की चरण वन्दना के लिए भक्तो के दादाबाडी पहुंचने का क्रम जारी रहता है। दादाबाडी में दर्शनो के लिए पहुंचने वाले दर्शनार्थियो की सुविधा के लिहाज से 130 कमरे व 10 हॉल बने हुए है एवं 15 वातानुकुलित कमरे भी स्थित है एवं भोजनशाला बनी हुई है।

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दादागुरूदेव की प्रत्यक्ष स्थली पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले दोनो मेलो पर सम्पूर्ण भारतवर्ष सहित विश्व के कई कोनो से ओसवाल समाज के श्रृद्धालु दादागुरूदेव के दर्शनो को दादाबाडी पहुचते है। इन मेलो के लिए दादाबाडी में विद्युतीय उपकरणो से ऐसी साज-सज्जा की जाती है कि देखने वालो के नयन थक जाते है एवं विस्मय से मुंह खुला रह जाता है। मेले के दौरान भक्तिपूर्ण कार्यक्रमो की श्रृंखला में विशाल भजन संध्या में देश के ख्यातिनाम कलाकार अपनी मधुर प्रस्तुतियो से आने वाले श्रृद्धालुओ का मन मोह लेते है। जिसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण यह है कि सन 2015 में आयोजित होने वाले मेलो के आयोजन आज ही बुक हो चुके है।

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