ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने माफ़ी क्यों नहीं मांगी

aitezad 1-ऐतेजाद अहमद खान- 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के घाव अब भी नहीं भरे हैं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन ने अमृतसर पहुंचकर ब्रिटिश शासन की इस क्रूरता को शर्मनाक तो बताया, लेकिन साफ माफी मांगने से वह परहेज कर गए.
हम भारतीय इसी में खुश है की ब्रिटिश प्रधानमंत्री या कोई और ब्रिटिश राजघराने का हमसे माफ़ी मांग ले, क्या होगा माफ़ी मांगने से क्या वक़्त के दिए हुए घाव भर जायेंगे, क्या विभाजन के समय का कत्ले आम बदल जाएगा.
जलियांवाला बाग हत्याकांड केवल एक काम नहीं है ब्रितानवी हुकूमत का ऐसे सेकड़ों घाव दिए हैं जो मरते दम तक नहीं मिटेंगे केवल एक माफ़ी से क्या होगा. एक देश के तीन देश बना दिए.
aकिस मुंह से हम मांग करते हैं माफ़ी की, ब्रिटिश प्रधानमंत्री के आते ही हम उनके चरणों में गिर गए हुकुम वीसा दो, हुकुम हेलीकाप्टर दलाली की जांच में मदद करो, बलशाली व्यक्ति के सामने मांगता है निर्बल माफ़ी, हम कहाँ हैं सोचो जरा, दलाली के पैसे किसने खाए, हमने, दामिनी के रेप के बाद कोई कड़ा कानून नहीं बना पाए, कोई अपराधियो में खौफ नहीं पैदा कर सके रोज़ रेप और गेंग रेप हो रहे है और यहाँ राजस्थान में तो पुलिस खुद रेप कर रही है. स्वाइन फ्लू से अब तक केवल केवल राजस्थान में 150 लोग मर गए, टेस्ट करवाने के 1500 से 6000 तक लग रहे हैं, हमे तो खुद अपने आप से माफ़ी मांगनी चाहिए की हम क्या कर रहे है.
हम हर बार क्यों घर आये मेहमान से कहते हैं की तू माफ़ी मांग अरे उनको माफ़ी मांगनी होगी वो घर बैठे माफ़ी मांग लेंगे पर उसके लिए हमें खुद बलशाली होना होगा.
इस शेर के साथ समापन की हम विश्व में उस स्तर तक पहुंचे:
खुदी को कर बुलुंद इतना की हर खुदी से पहले 
खुदा खुद बन्दे से पूछे बता तेरी राजा क्या है.

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