राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। पार्टी के असंतुष्ट तो कांग्रेस हाईकमान के सामने गहलोत को घेरने में जुटे ही हैं, पार्टी के पारम्परिक वोटर के रूप में पहचाने जाने वाला मुस्लिम समुदाय भी गहलोत से नाराज है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने तो गहलोत की तुलना गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी से करते हुए राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की मांग की है।
एक साल पहले भरतपुर के गोपालगढ़ में हुए दंगे का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अजमेर दौरा तब रद्द हो गया जब सरकार तक मुस्लिम संगठनों की नाराजगी की खबर पहुंची और ये कथित नाराजगी भी किसी ख़ुफ़िया एजेंसी के सूत्रों के जरिये नहीं बाकायदा अजमेर में लगाये गये पर्चों के जरिये पहुंची। पर्चों में गोपालगढ़ सुरवाल सराड़ा और सरवाड़ मैं घटित घटनाओं का हिसाब माँगा गया कि यह केवल हिंदू मुस्लिम दंगा नहीं था बल्कि पुलिस और प्रशासन की मिली भगत से मुसलमानों के खिलाफ संगठित तरीके से किया गया एक नरसंहार था. अशोक गहलोत सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी थी कि वह अपने राज्य के नागरिक यानी मुसलमानों के जान-माल की रक्षा करती पूरी तरह से नाकाम रही.
पर्चे मैं मुसलमानों से ये आह्वान किया गया की मुसलमानों की लाशों पर सियासत करने वाले सियासतदानो के साथ रोज़ा नहीं खोलना चाहिए सबसे चोंकाने वाली बात तो ये है की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह मुस्लिम विरोधी ठहराने की कोशिश की गयी है। जहाँ मुस्लिम संप्रदाय में ही कई ऐसे नेता भी हैं जो गहलोत के दौरे के रद्द होने के पीछे इन आरोपों को वजह नहीं मान रहे हैं वहीँ इस मसले पर मुसलमानों के एक बड़े वर्ग का नजरिया बिलकूल अलग सामने आया है उनका मानना है कि विरोध अशोक गहलोत का नहीं बल्की विरोध के स्थानीय राजनीतिक कारण है। क्योकि इंसाफ अली के विरोधी इतने कम वक्त में उनकी इतनी तरक्की को पचा नहीं पा रहे है इस लिऐ ये सवांग रचा गया है कि किसी तरह गहलोत उनके रोजा इफ्तार में ना पहुचें और वे अपने मंसूबों में कामयाब भी हो गऐ।
दरअसल गोपाल गढ़ दंगा पीड़ितों ने राजस्थान और मेवात की प्रमुख हस्तियों के साथ जिन में राजस्थान मुस्लिम मंच ने कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी से मिल कर न्याय की मांग रखी. राहुल से कहा कि हम भारतीय नागरिक हैं और हमें भी संवैधानिक अधिकार है तो फिर हम पर अत्याचार क्यों हुए और अगर एक संगठित साजिश के तहत हम पर अत्याचार हुए और हमारे रिश्तेदारों को मौत के घाट उतारा भी गया तो फिर अब इस लोकतांत्रिक देश में हमारी बार बार अपील के बावजूद दोषियों को सजा देकर हमारे साथ न्याय क्यों नहीं किया जा रहा है लगभग 25 लोगों के इस प्रतिनिधि-मंडल ने राहुल गांधी से कहा मुसलमान हमेशा कांग्रेस की मदद करते हैं और बदले में उन्हीं पर अत्याचार किया जाता है, उन्हें जान से मारा जाता है और उनकी संपत्ति नष्ट कि जाती हैं.
पर्चेबाजी से पहले ही एकजुट मुस्लिम नेताओं ने गहलोत की घेराबंदी ऐसे समय में शुरू की है जब कांग्रेस के ही कई विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ लामबंदी कर आलाकमान तक शिकायत दर्ज करा रहे हैजाहिर है विरोध बढ़ा तो गहलोत की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कांग्रेस में चल रही उठापटक के बीच गहलोत भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते इस लिये उन्होने रोजा इफ्तार में आने का इरादा बदल दिया। मुख्समंत्री के कार्यालय से स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम निरस्त होने की जानकारी दी गई पर जाहिर है दौरा किन कारणों से रद्द किया गया।
-मुजफ्फर भारती
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