कांग्रेस की नैया पार लगा पाएगी यूथ ब्रिगेड?

झाला-कटारा गुटों में बढ़ी दूरियां
सांसद-झाला ने मिलकर दी मात कटारा को

सुनिल गोठवाल
सुनिल गोठवाल

-सुनिल गोठवाल, वरिष्ठ पत्रकार– उदयपुर। कांग्रेस.. युवाओं के चुनाव से तो निपट गई है वो यूथ ब्रिगेड सामने आ गई है जिसके भरोसे इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा और आशंकित रूप से लोकसभा चुनाव भी लड़ने हैं। ब्रिगेड कितनी कारगर रहती है, यह तो समय बताएगा लेकिन चूंकि राजनीति है। कहते हैं न कि समीकरण पल पल बदलते रहते हैं जैसे अभी भी बदले बदले नजर आ रहे हैं।

यूथ कांग्रेस के पिछले लोकसभा अध्यक्ष चुनाव से झाला और कटारा के बीच चली आ रही रंजिश इस बार भी जारी रही और इसमें झाला बाजी मार गए। पिछली बार विवेक कटारा ने लोकसभाध्यक्ष पद पर झाला के पुत्र अभिमन्युसिंह को हराया था, तब से अंदर ही अंदर तलवारें खिंची हुई थी। इस बार अभिमन्युसिंह फिर लोकसभाध्यक्ष पद पर खड़े हुए। उनकी राह को मुश्किल करने के लिए विवेक कटारा ने झाड़ोल के रणजीत जैन को खड़ा किया लेकिन झाला के साथ सांसद रघुवीर मीणा के मिलने से अभिमन्यु की राह आसान हो गई। बताते हैं कि मीणा के दाएं हाथ माने जाने वाले कौशल नागदा ने तो अभिमन्युसिंह के चुनाव संयोजक के रूप में काम किया। इसके अलावा भी झाला ने प्रदेश में भी अपना दखल रखने के लिए झाड़ोल से प्रकाशचंद्र डूंगरी, रमेश चंदेल को खड़ा किया और वे प्रदेश सचिव निर्वाचित हुए। वीरेन्द्र वैष्णव गुट के रिजवान खान भी बाद में झाला के साथ आ खडे़ हुए और वे भी प्रदेश सचिव निर्वाचित हुए।
वैष्णाव कटारा के साथ मिलकर झाला को मात देने के प्रयास में नाकाम रहे। पहले के दिनों में वैष्णव को झाला का सहयोगी माना जाता था लेकिन राजनीति में व्यक्ति की महत्वाकांक्षाएं बहुत जल्दी बड़ी हो जाती है। कुछ ऐसा ही वैष्णव के साथ हुआ और वे झाला का साथ छोड़कर अलग ही गुट के अगुवा बन गए। हालांकि दोनों के आका एक ही डॉ. सी. पी. जोशी ही हैं। शनिवार सुबह डबोक एयरपोर्ट पर भी दोनों डॉ. जोशी की अगुवाई में खड़े रहे।
शहर कांग्रेस की कार्यकारिणी अब तक नहीं बन पा रही है। हालांकि पीसीसी चीफ डॉ. चन्द्रभान ने 10 दिन में कार्यकारिणी की घोषणा होने की बात कही थी। सूत्रों के अनुसार शहर जिला कार्यकारिणी का मामला जयपुर में ही नहीं बल्कि नई दिल्ली में हाईकमान के पास अटका पड़ा है। पहले वैष्णव गुट के ब्लॉक अध्य‍क्षों और अन्य सदस्यों ने शहर जिलाध्यक्ष का हर जगह विरोध जताया तो कार्यकारिणी भंग कर दी गई। सभी गुटों को एक साथ लेकर कार्यकारिणी घोषित करना हाईकमान के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है लेकिन जितनी देर इसमें होगी, उसका खामियाजा चुनाव में कांग्रेस को ही भुगतना पडे़गा। कार्यकारिणी के अभाव में शहर कांग्रेस की गतिविधियां भी ठप हैं। शहर विधानसभा अध्यतक्ष पद पर सांसद गुट से राहुल हेमनानी निर्वाचित होकर आए हैं तो शहर जिलाध्याक्ष की राह कुछ आसान हुई है लेकिन कार्यकारिणी की प्रतीक्षा है।
खुद पर कभी किसी एक गुट की छाप नहीं लगने देने वाले पंकज शर्मा समर्थित युवक कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष जयप्रकाश निमावत गिरिजा गुट के कार्यक्रमों में आगे रहते थे। उन पर एक तरह से गिरिजा व्यास के गुट का होने का ठप्पाक था लेकिन आज प्रदेश महासचिव विवेक कटारा के साथ उनके जुलूस में साथ बैठने का मतलब कुछ अलग ही निकाला जा रहा है। क्या निमावत पंकज व गिरिजा गुट से अलग हो गए हैं या फिर मौकापरस्त होकर अवसर का फायदा उठाने में लगे हैं?
विधानसभा चुनाव में उदयपुर से टिकट को लेकर फिलहाल कोई बात करना हालांकि बहुत जल्दी होगी लेकिन कांग्रेस को यहां का प्रत्याशी तय करने में पसीना जरूर आएगा। ऐसा कोई भी निर्विवाद प्रत्याशी आज के परिप्रेक्ष्य में नजर नहीं आता। गिरिजा गुट का प्रत्यासशी हो तो झाला गुट और झाला गुट का हो तो वैष्णव गुट और वैष्णव गुट का हो तो सांसद गुट..। सभी एक दूसरे का विरोध जरूर करेंगे। जब तक ये सभी एक साथ मिलकर मंच पर नहीं आते तब तक कांग्रेस को उदयपुर विधानसभा से अपनी वैतरणी पार करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

Comments are closed.

error: Content is protected !!