आप का कार्यालय किसी के घर में नहीं होना चाहिए

आम आदमी पार्टी में जारी है तू तू मैं मैं शीर्षक वाले न्यूज आइटम पर पार्टी से जुडे प्रबुद्ध कार्यकर्ता  केशव राम सिंघल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। पेश हैं उनके विचार:-

केशव राम सिंघल
केशव राम सिंघल

अजमेरनामा’ में एक लेख ‘आम आदमी पार्टी में जारी है तू तू मैं मैं’ पढ़ने का सुअवसर मिला. आपकी बात सही प्रतीत होती है कि पार्टी में खींचतान अब भी जारी है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर मामलों को सुलझाया जाना जरुरी लगता है. मैंने अपने एक लेख में लिखा भी था – “जब कोई अपने घर में किसी पार्टी का आफिस खोले तो निजी स्वार्थ की थोड़ी बहुत बू आती ही है और संदेह होता है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक श्री अरविंद केजरीवाल ने मिशन बुनियाद कार्यक्रम में अब यह स्पष्ट कर दिया है कि हर जिला मुख्यालय पर आम आदमी पार्टी का एक फंक्शनरी कार्यालय खोला जाना चाहिये, जहाँ जिम्मेदार व्यक्ति बैठता हो तथा जहाँ पार्टी के सारे लिटरेचर मौजूद हों. ऐसा आफिस किसी के घर में नहीं खोलना है. हर ब्लाक के जिम्मेदार लोगों की लिस्ट बनानी है. इसके पीछे मन्शा यही है कि ऐसा कार्यालय ऐसे स्थान पर खोला जाना चाहिये जहाँ आम आदमी को पहुँचने में दिक्कत ना हो. मिशन बुनियाद कार्यक्रम की बातचीत इंटरनेट पर उपलब्ध है.” यहाँ महत्वपूर्ण यह है कि पार्टी का कार्यालय किसी के घर में नहीं होना चाहिये. महत्वपूर्ण यह भी है कि जिला कार्यकारिणी के संयोजक और जिला सचिव ऐसे व्यक्ति होने चाहिये जो जिले में विभिन्न इकाइयों में सामंजस्य स्थापित कर सके और पार्टी संविधान के अनुसार जिले के कार्यकर्ताओं को दिशा दे सके. जिला कार्यकारिणी कोषाध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होना चाहिये, जिसे अकाउंटिंग (लेखाशास्त्र) का अच्छा ज्ञान हो.
आम आदमी पार्टी के सामने स्थानीय स्तर पर बहुत सी चुनौतियाँ खड़ी हैं. जनता यह अपेक्षा करती है कि पार्टी का नेता और कार्यकर्ता ऐसा होना चाहिये जिसकी कथनी और करनी में अन्तर नहीं हो. भारत की राजनीति में नेताओं ने जो कहा, वह् किया नहीं, इसलिए ही जनता का विश्वास राजनीति और नेताओं से कम हुया है. आम आदमी पार्टी के गठन को जनता एक विश्वास के साथ देख रही है और यह पार्टी कार्यकर्ताओं पर निर्भर है कि वे जनता का विश्वास बनाएं रखें. वैसे भी आम आदमी पार्टी का गठन ईमानदारी, पारदर्शिता और सह्भाग पर आधारित है.
स्वराज के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ यह पार्टी  जनता के साथ खड़ी रहेगी और हर उस उपाय को लागू करेगी जिससे महँगाई दूर हो. आज किसानों की जमीनें  विकास के नाम पर अधिग्रहीत की जा रहीं हैं. आम आदमी पार्टी ने संकल्प लिया है कि अँगरेजों द्वारा 1894 में बनाया गाया भूमि अधिग्रहण कानून रद्द होगा. अच्छी शिक्षा और अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समुचित कदम उठाये जायेंगे. मतदान के समय मतदाता को ‘नापसंदी अधिकार’ (राईट तू रिजेक्ट) के चयन का अधिकार भी दिया जायेगा. यदि जनता चाहेगी तो चुने जाने के बाद भी चुने हुए उम्मीदवार को वापिस बुला सकेगी यदि चुना हुया उम्मीद्वार जनता की उम्मीदों के प्रति खरा नहीं उतरता है. कई दिनों पूर्व इस लेख के लेखक को आम आदमी पार्टी की राज्य कार्यकारिणी संयोजक श्री अशोक जैन व राज्य कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों – कोटा की डॉ. आर. पी. गर्ग, झुंझुनु के श्री गणपत सिंह, जोधपुर के श्री गोपीलाल सुथार आदि से मिलने का मौका मिला. श्री अशोक जैन ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि मांगरोल की जनता ने यह साबित कर दिया है कि चुनाव बिना पैसे के जीता जा सकता है.
अजमेर में एक नए विश्वास के साथ कुछ कार्यकर्ता पार्टी की जमीन तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं पर अभी काम बहुत है जिसे पूरा किया जाना है. एक ऐसा फंक्शनरी कार्यालय खोले जाने की जरूरत है जहाँ कोई जिम्मेदार व्यक्ति बैठता हो,जहाँ पार्टी का सारा लिटरेचर उपलब्ध हो और जहाँ आम आदमी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिल सके. जिले के हर शहर के प्रत्येक वार्ड में वार्ड सभा, प्रत्येक ग्राम में ग्राम सभा और प्रत्येक कालेज में छात्र सभा के रूप में प्राथमिक इकाइयों के गठन की जरूरत है. इसके लिए हर गांव, हर मोहल्ले, हर शहर में सघन सदस्यता अभियान चलाने की जरूरत है. प्रत्येक इकाई में एक संयोजक और एक सह-संयोजक आम राय से चुनने का काम प्रारंभिक तौर पर किया जाना है. इसके लिए जिले में हर स्तर पर ऐसे कार्यकर्ताओं की जरूरत महसूस हो रही होगी जो अपने निजी स्वार्थ को पीछॆ रखते हुए नि:स्वार्थ भावना से एक जुट होकर पार्टी उद्देश्यों के लिये काम कर सकें. काम बहुत है और चुनौतियाँ भी बहुत हैं, देखना है कि पार्टी कार्यकर्ता कैसे इसे पूरा कर पाते हैं. मुझे अत्यन्त दु:ख होता है कि अभी तक अजमेर में आम आदमी पार्टी का कोई ऐसा कोई फंक्शनरी कार्यालय नहीं है, जहाँ कोई जिम्मेदार व्यक्ति बैठता हो और निजी स्वार्थ के चलते बहुत सा काम रुका हुआ सा लगता है..
– केशव राम सिंघल

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