हे सात महीने के ईश्वर (मतदाता )

कीर्ति शर्मा पाठक
कीर्ति शर्मा पाठक

“हे सात महीने के ईश्वर (मतदाता ) तू आँखें खोल,सब को परख और तौल ……. तुझ को फिर उम्मीदों के फेर और आलोचनाओं के ढेर में फंसाया जा रहा है …… इस भंवर में फंसा कर तुझ से तेरे बहुमूल्य वोट को छीना जाएगा और फिर आठ आठ आंसूं रोने को मजबूर किया जाएगा …… तू जनता होगा और वे माइबाप ……. तू उन के क़दमों में लोटेगा अपने काम करवाने के लिए और तेरे अपने ही द्वारा चुने गए राजाओं की ठोकर खायेगा …… बस अब इस बार चेत जा …… उन से सवाल कर,उन के जवाब ले ….अपने स्वयं के तराजू से तोल और परख …… किसी और के आईने को अब इस बार अपनी आँख ना बना ….. अपनी स्वयं की परखने की शक्ति को पहचान ….. हे हनुमान तुझ में स्वयं असीमित शक्तियां हैं ….. उन को पहचान और उन शक्तियों का उपयोग कर अवसरवादी स्वार्थी ताकतों से अपने देश और राज्य को बचा …… आज आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है …… आज स्वयं के महिमा मंडन का दौर चल रहा है ….. तू जाग …खुली आँखों से देख और परख और उन से सवाल पूछ ….. आज राजस्थान सरकार अपने द्वारा शुरू की गयी फ्लैगशिप योजनाओं को गा रही है ….. तू उन से पूछ ये योजनायें पिछले चार साल में कहाँ थीं ?? और अब शुरू की गयी योजनाओं का लाभ वे स्वयं वोट के रूप में उठाना चाहते हैं … इन के क्रियान्वन को आप हमारे सामने गाजर की तरह लटका कर हमारा बहुमूल्य वोट खरीदना चाहते हो ? यदि आप जनता /मालिक के लिए इतने ही चिंतित थे तो ये योजनायें सरकार बनते ही चार साल पहले क्यूँ नहीं शुरू की गयीं ?? गेंहूँ आज एक रुपये किलो किया गया है …क्या इसे चार साल पहले नहीं किया जा सकता था ?? क्या चार साल पहले आप ने पेट भरने का कोई और जतन किया था ?? विपक्ष अब जेल भरने की तैयारी कर रहा है ….. आज का सेठ उन से पूछे भ्रष्टाचार और बढती महंगाई क्या आसमान से टपकी है ?? हमें चार साल से रोते देख तो आप के कानों में जूं तक ना रेंगी थी …. अब ये दिखावा और घडियाली आंसूं क्यूँ ?? पिछले चार सालों में तो आप को अपने आप से फुर्सत ही कहाँ थी जो जनता की ओर देखते ….. कोई लन्दन में बैठा था तो कोई अपने ऐ सी घर/ऑफिस में …. अब वोटों की राजनीति के चलते आप को हमारे आंसूं नज़र आ रहे हैं ?? अपने मन आँखें अब खोल हे अर्जुन ….. उस एक मछली रुपी देश हित की ओर नज़रें गढ़ा ले ….. लक्ष्य भेदन तो एक ही है अब …… देश हित …….. अपने वोट का सदुपयोग करना है इस बार …… इस बार नहीं हारना है ……. व्यक्ति प्रधान रहे ….. ऐसा कार्यकर्ता जो कि कर्त्तव्य निष्ठ हो …… पार्टी प्रधान नहीं ……. अब संभल कर …… जांच परख कर ….. हमारा वोट बिके नहीं …. सावचेत रहिये ….. एक रक्तहीन क्रान्ति की जनक सिर्फ भारत वर्ष की जनता ही हो सकती है …… जय हिन्द !!!!”

-कीर्ति शर्मा पाठक
अजमेर प्रभारी, आम आदमी पार्टी

2 thoughts on “हे सात महीने के ईश्वर (मतदाता )”

  1. Mrs.sharmaji AAP ko pure Rajasthan Me BJP Or Congress Ka Viklp Dena Hoga Tabhi Aapaki Baat Saarthak Hogi. Hum AAP Ka Pura Sahyog Or Samarthan Denge.

  2. आप का बहुत बहुत धन्यवाद सिंह साब …आप से बात कर के बहुत अच्छा लगा .

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