मोदी की कुण्डली में तो प्रधानमन्त्री बनना लिखा ही नहीं है

प० राजेश कुमार शर्मा
प० राजेश कुमार शर्मा

एक तरफ जहाँ गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी के समर्थक असामाजिक तत्व भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण अडवाणी के घर पर हमला कर रहे हैं वहीं ज्योतिषियों ने भी घोषणा कर दी है कि मोदी की कुण्डली में प्रधानमन्त्री बनना तो लिखा ही नहीं है बल्कि 8 जुलाई के बाद भाजपा को बदनामी का समना करना पड़ेगा।
भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवम् शिक्षा केन्द्र, मेरठ के प० राजेश कुमार शर्मा ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी के शुक्र, सूर्य एवम् शनि ग्रहों के योगो मे कमी है फिर भी ग्रहों के खेल निराले हैं। देश में अभी तक मंगल, शुक्र, सूर्य एवम् शनि ग्रहों वाले व्यक्ति ही प्रधानमन्त्री पद पर आसीन हुये हैं। इनमें से मंगल एवम् शुक्र राशि का वर्चस्व प्रधानमन्त्री के लिये अधिक रहा है। ग्रहों के मान से सन् 1947 से 2012 वर्तमान समय तक भारत में चैदह प्रधानमन्त्री हुये हैं। इनमें ग्रहों का प्रभाव इस प्रकार रहा है। मंगल ग्रह- सर्वश्री लालबहादुर शास्त्री, जौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, अटलबिहारी वाजपेयी (4), शुक्र ग्रह – श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, विश्वनाथप्रतापसिंह, इंद्रकुमार गुजराल (4), शनि ग्रह – पं. जवाहरलाल नेहरू, गुलजारीलाल नंदा (2), सूर्य ग्रह – मोरारजी देसाई, मनमोहनसिंह (2), बुध ग्रह – पी.वी. नरसिंहराव।
प० राजेश कुमार शर्मा के अनुसार मोदी को उस समय भाग्य भाव की राशि कर्क के स्वामी चंद्र में राहू में केतू की दशान्तर रहेगी। तुला राशि में राहू और शनि द्वादश भाव में गोचर करेंगे। द्वितीय एवम् पंचम् भाव की राशि का स्वामी गुरु मारक स्थान सप्तम् भाव में, दशम् भाव की राशि सिंह का स्वामी सूर्य अपनी राशि से षष्टम् होकर तृतीय भाव में गोचर करेगा जो मोदी को प्रधान मन्त्री बनने में बाधक बन सकते हैं। वर्तमान लोकसभा की नियत अवधि पूर्ण हो जाने पर नवंबर 2014 में चुनाव होने के समय भारत की कुण्डली में सूर्य में शुक्र में सूर्य की दशान्तर होगी। वहीं श्री मोदी के लिये चन्द्र में गुरु में चन्द्र अथवा मंगल का दशान्तर गोचर में रहेगा। गोचर ग्रहों के मान से सूर्य शनि एवम् शुक्र वृश्चिक में, गुरु कर्क में, मंगल धनु में व राहू कन्या में, रहेगें। मोदी की कुण्डली के मान से लग्न में दशम भाव का स्वामी सूर्य, तृतीय भाव एवम् चतुर्थ भाव के स्वामी शनि एवम् सप्तम व द्वादश भाव के स्वामी शुक्र की युति रहेगी। लग्न तथा षष्टम् भाव का स्वामी मंगल अपनी राशि से द्वितीय एवम् नवम् होकर द्वितीय भाव में गोचर। गुरु उच्च का होकर भाग्य भाव में होगा। उस वक्त मोदी को लग्न, पंचम् एवम् भाग्य भाव की दशान्तर रहेगी और भारत के मान से तृतीय भाव में कर्क राशि में गुरु की भाग्य भाव पर पूर्ण दृष्टि होगी। सूर्य, शनि, शुक्र की सप्तम भाव में युति होगी तथा उस समय भारत की सूर्य एवम् शुक्र की दशान्तर होगी।
मोदी के लिये बाधक ग्रह, भाग्य भाव की राशि कर्क का स्वामी चंद्रमा होता है जो लग्न में नीच का होकर मंगल के साथ है। मंगल एवम् चन्द्र की पूर्ण दृष्टि संगठन भाव सप्तम पर पूर्ण होने के कारण मोदी एवम् संगठन के मध्य आपसी मतभेद उभर सकते हैं और उभर रहे हैं जिससे मोदी को निपटना होगा। वैसे 8 जुलाई के बाद ग्रह दशाओं मे परिर्वन के कारण भाजपा को बदनामी का सामना करना पड़ेगा।
http://hastakshep.com से साभार
– प०राजेश कुमार शर्मा

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