कांग्रेस सरकार का पर्दाफाश करती तस्वीर

soni-mannu-विजय शर्मा- ये ऐतिहासिक फोटो है। कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी लगातार सोशल मीडिया पर
कांग्रेस का मजाक उड़ाने वाली तस्वीरों को बैन करने की मांग करते हैं।
उनकी दलील होती है कि उनमें से अधिकतर फोटो फोटोशॉप पर बनाए जाते हैं। पर
ये दावे के साथ कहा जा सकता है कि यह फोटो कभी फोटोशॉप पर नहीं बनाया
गया। इस तस्वीर को तब लिया गया था जब हाल ही भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी फूड सिक्योरिटी बिल पर चर्चा के
लिए आयोजित कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक में पधारे थे।

इस फोटो में कांग्रेस के पिछले दस साल का इतिहास दिखता है। कांग्रेस को
लोग क्यों कोसते हैं उसकी वजह भी इसी फोटो में है। युगों-युगों तक
कांग्रेस की सरकार को परिभाषित करने के लिए इस फोटो का प्रयोग किया
जाएगा। अब आप आतुर तो ही गए होंगे कि क्यों इस फोटो को ऐतिहासिक बताया जा
रहा है। तो लीजिए जनाब, आप भी वजह जानिए।

तस्वीर से साफ है कि सोनिया गांधी बोल रहीं हैं और आदतन भारत के
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सुन रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री पर इल्जाम
लगाया जाता है कि वह वही करते हैं जो सोनिया गांधी उन्हें करने को कहती
हैं। अब जब मनमोहन सिंह केवल सोनिया की सुनते हैं तो करेंगे किसकी?

अब जरा ध्यान दीजिए। सोनिया गांधी की दाएं हाथ पर नजर डालिए। उन्होंने
बिल्कुल वैसे ही हाथ को आगे बढ़ाया है जैसे चैनल चेंज करने के लिए रिमोट
को आगे बढ़ाया जाता है। अन्ना और रामदेव का सोनिया के रिमोट से मनमोहन
सिंह को चलाने का आरोप सही मालूम पड़ता है। अब आप सोच रहे होंगे कि
मनमोहन सिंह के इतने पास सोनिया को रिमोट क्यों ले जाना पड़ा है तो उसका
जवाब ये हैं कि मनमोहन सिंह की उम्र तो देखिए। इतना पुराना टीवी हो जाए
तो उसके पास में ही ले जाकर रिमोट का इस्तेमाल करना पड़ता है।

अब आप जरा मनमोहन के हाथों पर नजर डालिए। वह खुद कह चुके हैं कि उनके हाथ
बंधे हुए हैं। अब आप बेचारे मनमोहन सिंह पर कोई आरोप मत लगाइए कि वो कुछ
करते क्यों नहीं है। जब पवन कुमार बंसल घोटाला कर रहे थे तब बेचारे
मनमोहन सिंह कुछ नहीं कर पाए क्योंकि हाथ बंधे थे। उनकी नाक के नीचे
कोयला घोटाला हो गया पर बेचारे मनमोहन सिंह तब भी कुछ नहीं कर पाए
क्योंकि हाथ बंधे थे।

अब आप जरा मनमोहन सिंह के पीछे रखी किताबों पर नजर डालिए और फिर मनमोहन
सिंह का सोनिया की तरफ झुकाव देखिए। सीधे-साधे मनमोहन सिंह, किताबों में
खोए रहने वाले मनमोहन सिंह, बच्चों को किताबें पढ़ाने वाले मनमोहन सिंह
का सोनिया गांधी अथार्थ सोनिया गांधी की तरफ इस झुकाव ने ही देश का सिर
झुका दिया है। आज जब घोटालों की चर्चा होती है तब हमारा सिर शर्म से इसी
झुकाव की बदौलत झुक जाता है।

अब आप जरा सोनिया के सामने रखे माइक की तरफ नजर डालिए। पार्टी में कौन
बोलेगा और कौन नहीं बोलेगा, यह सोनिया जी ही डिसाइड करती हैं। माइक के
बगल में बजर भी रखा है। मान लीजिए कि रहम खाकर सोनिया जी ने आपको माइक दे
भी दिया तो इसका मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप कुछ भी उनके सामने बोलते
जाइए। सोनिया जी ने बजर रखा है, वो तुरंत उसे बजा देंगी। फिर आपको अपना
भाषण बंद करना होगा।

अब ध्यान दीजिए कि मनमोहन सिंह देख कहां रहे हैं। मनमोहन सिंह सोनिया जी
की नोटबुक की तरफ देख रहे हैं। हो सकता है कि उसमें 2014 चुनाव के बारे
में सोनिया ने कोई नोट लिख रखा हो। कहीं मनमोहन सिंह ये तो नहीं देख रहे
हैं कि प्रधानमंत्री के आगे उनका नाम लिखा है कि नहीं? वैसे तो मनमोहन
सिंह कहते रहते हैं कि उन्हें अच्छा लगेगा अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री
की कुर्सी संभाले पर मनमोहन सिंह को पता है कि राहुल को पीएम बनना अच्छा
नहीं लगता है। राहुल जी को भारत भ्रमण में मजा आता है।

विजय शर्मा
विजय शर्मा

अब जरा ध्यान दीजिएगा कि सोनिया गांधी दरवाजे के ठीक सामने बैठी हैं।
उसकी कई वजहें हैं। अगर उन्हें बैठक से किसी को बाहर निकालना है तो वो
उसे आसानी से दरवाजा दिखा सकती हैं। और फिर ऐसी नौबत आ जाए कि जनता उनके
खिलाफ चली जाए तो वो सबसे जल्दी दरवाजे से बाहर निकल सकती हैं ताकि कोई
भी उनपर तोहमत ना लगा पाए। 2014 के नतीजों से पहले की दूरदर्शी सोच तो
नहीं?

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