कैसे 9/11 और राष्ट्रपति पद ने ओबामा के नजरिए में आमूलचूल बदलाव किया

adwani blog 4.7.12मैंने अपने पिछले ब्लॉग (21 जुलाई) में पाठकों के लिए दि न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित एबटाबाद प्रकरण पर पाकिस्तान सरकार की जांच रिपोर्ट और ओसामा बिन लादेन के मारे जाने सम्बन्धी रिपोर्ट का सारांश प्रस्तुत किया था। अब तक इस ऑपरेशन एबटाबाद पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी होंगी। सर्वप्रथम जो मुझे देखने को मिली उसका शीर्षक है ”नो इज़ी डे” (No Easy Day) और इसे धावे में भाग लेने वाले एक सील (SEAL)ने लिखी है। उसने यह पुस्तक – मार्क ओवन छद्म नाम से लिखी है। पिछले रविवार मुझे न्यायमूर्ति जावेद इकबाल की अध्यक्षता वाले चार सदस्यीय कमीशन जिसे पाकिस्तान सरकार ने गठित किया था की 336 पृष्ठीय अधिकृत रिपोर्ट देखने को मिली; जोकि अल जजीरा की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है जिसे उसने पाकिस्तान सरकार के गुप्त दस्तावेजों में से किसी प्रकार प्राप्त किया है। अब यह पता चला है कि इस रिपोर्ट को गुप्त रखने में असफल पाकिस्तान सरकार इसे अधिकारिक रूप से सार्वजनिक करने की योजना बना रही है।

आज का ब्लॉग इस विषय पर लिखी गई तीसरी पुस्तक पर आधारित है जो मुझे काफी रोचक लगी। पुस्तक का शीर्षक है: ”दि फिनिश : दि कीलिंग ऑफ ओसामा बिन लादेन (The Finish : The killing of Osama Bin Laden); जिसे लिखा है मार्क बॉडेन ने, उन्होंने रेखांकित किया है कि कैसे इस शताब्दी के पहले दशक में जिहादी आतंकवाद के प्रति राष्ट्रपति बराक ओबामा का नजरिया बदला।

पहला अध्याय, दिनांक 11 सितम्बर, 2001 का शीर्षक है: ”ए डेफिनेशन ऑफ इविल” (A Definition of Evil). अंतिम से पहला अध्याय, दिनांक 1-2 मई, 2011 का शीर्षक है ”दि फिनिश” (The Finish). जब आतंकवाद के इतिहास में सर्वाधिक भद्दा अध्याय दस वर्ष पश्चात् बिन लादेन के मारे जाने के कारण समाप्त हुआ। उस समय बराक ओबामा अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति थे। बॉडेन की पुस्तक के कुछ उध्दरण यहां प्रस्तुत करना पाठकों के शिक्षण के लिए उपयोगी होगा ताकि पता चल सके कि लेखक ने इन दोनों अवसरों पर ओबामा की मन:स्थिति का कैसा विश्लेषण किया है।
पहले अध्याय का शुरूआती पैराग्राफ कहता है: शिकागो की एक खुली धूप वाली सुबह, ठीक आठ बजे से पहले, बराक ओबामा नहर के किनारे गाड़ी चला रहे थे, जब उनके रेडियो पर संगीत बज रहा था जिसमें एक समाचार बुलेटिन से व्यवधान पड़ा। एक विमान न्यूयार्क शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टॉवर में घुस गया। उन्होंने उसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा। उन्होंने सोचा कि इसका अर्थ है कि कोई छोटा-मोटा सेना पायलट इसमें बुरी तरह फंस गया होगा।

कुछ आगे चलकर अध्याय में लिखा है: ओबामा दक्षिण क्षेत्र के उत्तरी छोर पर डिस्ट्रिक्ट 13 का प्रतिनिधित्व करते थे। उनके दो और काम थे, एक शिकागो की प्रसिध्द कम्पनी के वकील के रूप में और दूसरे शिकागो यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल में संवैधानिक कानून के एक वरिष्ठ प्राध्यापक के रूप में। वह एक विधि प्राध्यापक के रूप में दिखते थे। वह ‘शांत‘ (कूल) दिखते थे। इस शब्द को लोग उनके बारे में अच्छाई और बुराई दोनों के संदर्भ में उपयोग करते थे। अपनी शैली और उपस्थिति में वह ‘कूल‘ थे; वह लम्बे और पतले तथा आकर्षक थे। लेकिन वह दूसरे रूप में भी ‘कूल‘ थे। अक्सर वह अलग-अलग, कटे हुए और गुरूर में दिखते थे। एक महीना पहले ही वह चालीस वर्ष के हुए थे परन्तु इतने प्रौढ़ नहीं कि विलक्षण्ा प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति मान लिया जाए। उनकी काले रंग की जीप केइरोकी एक परिवार वाले व्यक्ति की कार थी। उनके और उनकी पत्नी मिशेल के दो पुत्रियां: नवजात साशा और तीन वर्ष की मलिया। इस बीच उनके ब्लैकबेरी पर संदेश आने शुरू हो गए थे। ”लोअर मैनहाट्टन से समाचार एक बार में ही हजारों स्त्रोतों से आना शुरू हो गया था। दूसरे टॉवर पर भी हमला हुआ है। दोनों विमान कमर्शियल एयरलाइन्स के थे। टॉवरों में आग लगी हुई थी। यह कोई दुर्घटना नहीं थी। यह एक सुनियोजित हमला था। इन हमलों पर उन दो व्यक्तियों का तत्काल रूख उल्लेखनीय रूप से भिन्न-भिन्न था जो अगले दशक के युध्द में अमेरिका का नेतृत्व करने वाले थे। बुश गुस्से में थे और तुरंत बदला लेने की इच्छा रखते थे। उन्हें लगता था कि किसी ने अमेरिका पर हमला करने का दुस्साहस किया है उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। हमले की रात्रि में अपने भाषण में उन्होंने अपने संभावित प्रतिसोध का दायरा विस्तृत करते हुए कहा: ”हम उनमें कोई भेद नहीं करेंगे जिन्होंने यह हमला किया है और जिन्होंने उनको आश्रय दिया है।” जवाबी कार्रवाई की राष्ट्रपति की व्यग्रता गति पकड़ने तक जारी रहेगी। 9/11 पर यदि बुश का रूख जवाबी कार्रवाई का था, तो बराक ओबामा एक वैश्विक गरीबी विरोधी अभियान शुरू करने को तैयार दिख रहे थे। बहुत थोड़े लोग ही इलिनॉयस राज्य के सेनेटर के विचारों से प्रभावित थे। लेकिन हमलों के कुछ दिनों बाद उनके स्थानीय समाचारपत्र ‘दि हाइड पार्क हेराल्ड ने अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज किया: हाइड पार्क हेराल्ड को दिए अपने पक्ष में उन्होंने आतंकवाद के मूल कारणों का परीक्षण करने की बात कही। उन्होंने कहा ”यह गरीबी और उपेक्षा, असहाय और निराशा के माहौल में बढ़ता है।” उन्होंने अमेरिका को आव्हान किया कि वह ”दुनियाभर में कटुता से भरे बच्चों – न केवल मध्य पूर्व अपितु अफ्रीका, एशिया, लेटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप और अपने ही देश के बच्चों में आशा और संभावनाओं को जगाने के महत्वपूर्ण काम में ज्यादा समय लगाए।” यह वामपंथी ‘बॉइलरप्लेंट‘ जैसा और गलत या सही मगर राष्ट्र के गुस्से से इतर था।

हमलों के चार साल बाद, अमेरिकी सीनेट हेतु उनके निर्वाचन ने मतदाताओं के उत्साह की एक लहर को जन्म दिया जो वास्तव में उन्हें व्हाईट हाऊस तक लाई। ओबामा ने अपने संस्मरणों की नई प्रस्तावना में लिखा। 9/11 के बारे में वह लिखते हैं: उस दिन और उसके आने वाले दिनों के बारे में संजोना एक लेखक की योग्यता की कला से आगे की बात है। सायों की भांति विमानों का स्टील और शीशे में समा जाना, धीरे-धीरे प्रपात की भांति टॉवरों का अपने आप में ढहना, धूलाच्छादित सायों गलियों में घूम रहे थे। गुस्सा और भय पसरा हुआ था। मैं उस नितांत विनाशवाद को समझने का दावा कर सकता हूं जिसने उस दिन आतंकवादियों को अपने बंधुओं के साथ यह करने को संचालित किया। सहानुभूति की मेरी शक्ति, दूसरों के हृदयों तक पहुंच पाने की मेरी योग्यता, उनके कोरे नक्षत्रों में प्रवेश नहीं कर सकती जो निर्दोषों की यूं ही, शांत समाधान से हत्या करेंगे।

कुछ वर्ष पूर्व की तुलना में वह हमलावरों के बारे में ज्यादा कठोरता से बोले। उन्होंने उन सभी की निंदा की ”जो किसी भी झण्डे या नारे या पवित्र पुस्तक के तले, एक निश्चितता और सरलीकरण से उनके प्रति निर्दयता को न्यायोचित ठहराते हैं जो हमारे जैसे नहीं हैं।” जैसाकि पूर्व में इंगित किया गया है कि पुस्तक के पहले अध्याय का शीर्षक है ”ए डेफिनेशन ऑफ इविल” (A Definition of Evil)A मैं इस अध्याय के अंतिम पैराग्राफ को यहां उदृत करना चाहता हूं जिसे मैं मानता हूं कि वह 9/11 के, उस आदमी के ऊपर प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण है जो राष्ट्रपति बनने की इच्छा रखता है।

पैराग्राफ निम्न है: सन् 2001 की उस रात्रि को जब साशा ने अपनी बोतल खाली की तो उन्होंने उसे अपने कंधों पर उठा लिया तथा उसकी पीठ को सहलाया। उस दिन की भयानक छवि उनके सामने स्क्रीन पर फिर से सामने आई। उन्होंने सोचा कि उनकी बेटी और उसकी बड़ी बहन मलिया का भविष्य क्या होगा। उन्होंने हमलों को एक सभ्य व्यक्ति, एक अमेरिकी और एक पिता के रूप में व्यक्तिगत तौर से महसूस किया। वह अपने ढंग से बुराई की निजी परिभाषा पर काम कर रहे थे। मैं निश्चित मानता हूं कि उस दिन की समाप्ति पर उनके दिमाग में यह विचार अवश्य उपजा होगा कि जैसाकि इस मामले में इस पुस्तक के लेखक के रूप में, आत्मघाती हत्यारे न तो गरीबी और न ही विशेष रूप से निराश या अनभिज्ञता के कटुता भरे पुत्र नहीं निकलेंगे। उनमें से अधिकांश सम्पन्न युवा सऊदी थे जिनके परिवारों ने महंगे कालेज में शिक्षा लेने उन्हें विदेश भेजा था। वे मजहबी कट्टरपंथी थे जिनका नेतृत्व एक ऐसा व्यक्ति कर रहा था जिसे सौभाग्य विरासत में मिला था। उनकी शिकायतें आर्थिक नहीं थीं, वे राजनीतिक और मजहबी थीं। ”दि फिनिश” (The Finish) शीर्षक वाला अध्याय ऑपरेशन ‘एबटाबाद‘ के बारे में है। एडमिरल मैक्रवेन के नेतृत्व में सील टीम को अफगानिस्तान के जलालाबाद में पूरी तरह तैयार रखा गया था। शनिवार, 30 अप्रैल यानी ऑपरेशन शुरू होने से एक दिन पहले राष्ट्रपति ओबामा ने मैक्रवेन से फोन पर व्यक्तिगत रूप से बातचीत की। ओबामा ने कहा ”भगवान आप और आपके सहयोगियों पर कृपा करे तथा कृप्या उन्हें उनकी सेवाओं के लिए निजी तौर पर मेरा धन्यवाद पहुंचाएं।” राष्ट्रपति ने एडमिरल को यह भी बताया कि ”मैं निजी तौर पर इस मिशन पर निगाह रखूंगा।”

जलालाबाद में स्थानीय समय के रात्रि 11 बजे से कुछ समय पूर्व एडमिरल को अंतिम आदेश मिला ”वहां जाओ और लादेन को पकड़ो; और यदि वह वहां नहीं हो तो उसे कहीं से भी ढूंढो।” रात्रि के ठीक 11 बजे दो ब्लैक हॉक्स रेडार से बच निकलते हुए जलालाबाद के विमानतल से उड़े और दस मिनटों के भीतर पाकिस्तान में प्रविष्ट गए।

बॉडेन ने पहले ही उल्लेख किया है: अनेक शीर्ष पेंटागन अधिकारियों के मुताबिक ‘सील‘ टीम को इस काम के लिए चुनने के कारणों में, पिछले कुछ वर्षों में इसके द्वारा पाकिस्तान के भीतर लगभग एक दर्जन से ज्यादा गुप्त मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करना रहा हैं इनके द्वारा किए जाने वाले हमलों में शीर्ष स्तर के कमांडर अपने कंधों पर लाइव ऑडियो और वीडियो लेकर चलते हैं – इन्हें ”जनरल टीवी” कहा जाता है।

इस अध्याय में लेखक लिखता है: ”राष्ट्रीय सुरक्षा सम्बन्धी सारे साजो-समान को पूरी तरह लेकर चलने वाले मैक्रवेन यह ‘मॉनिटर‘ करने में सक्षम थे कि पाकिस्तानी क्या कर रहे थे। और जैसे ही मिनट बीते, यह साफ हो गया कि वे कुछ नहीं कर रहे थे। टास्क फोर्स पहले भी वहां के आदिवासी क्षेत्रों में गुप्त मिशन हेतु कई बार पाकिस्तानी वायु सीमा में घुस चुकी थी। इसलिए उन्हें भरोसा था कि वे चुपचाप घुस जाएंगे और किसी को पता भी नहीं चलेगा। परन्तु जब वे वहां पहुंच गए तब उन्हें राहत मिली। एडमिरल ने पहले ही एक ऐसा स्थान चुन लिया था जो पाकिस्तानियों के जागने पर भी मिशन के पूरा करने में सहायक होता। बहुत शीघ्र उन्होंने उस स्थान को भी पार कर लिया। जब काले रंगे के हेलीकाप्टर एबटाबाद की ओर बढ़ रहे थे तब करीब आधे घंटे तक प्रतीक्षा के सिवाय कुछ नहीं हुआ।

हेलीकॉप्टर जलालाबाद में स्थानीय समय के अनुसार सुबह तड़के 3 बजे पहुंचे। मिशन पर गए किसी भी व्यक्ति को कोई चोट नहीं आई। उनका एक हेलीकॉप्टर क्षतिग्रस्त हो गया परन्तु उन्होंने पाकिस्तान सेना को पूरी तरह से दूर रखा। और उन्होंने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया।
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इस हमले के बाद दिन में व्हाईट हाऊस को फोटोग्राफ्स की एलबम भिजवाई गई, जिसमें मृत बिन लादेन के अनेक फोटो थे। उस सप्ताह वहां इसको लेकर काफी विचार-विमर्श हुआ कि क्या इन चित्रों को, मृत्यु के प्रमाण के रूप में सार्वजनिक किया जाना चाहिए लेकिन राष्ट्रपति ने दृढ़तापूर्वक इन्हें सार्वजनिक न करने का फैसला किया। यह फैसला इसलिए आसान हुआ कि किसी ने भी बिन लादेन की मौत के तथ्य पर संदेह नहीं किया। सोमवार की सुबह के समय एडमिरल मैक्रवेन के जवान लादेन के शव को निपटाने में लगे थे। काफी विचार – विमर्श और सलाह के बाद यह निर्णय हुआ कि समुद्र में दफनाना सर्वाधिक उत्तम विकल्प है। उसके चलते मृतक के दिग्भ्रमित अनुयायियों के लिए कोई स्मारक नहीं होगा। अंतत: शव को साफ किया गया, प्रत्येक संभव कोणों से फोटो खींचे गए और तब V-22 ओस्प्रे (osprey) में ले जाकर उत्तरी अरब समुद्र में यूएसएस कार्ल विंसन पर ले जाया गया।

औपचारिकता के तौर पर विदेश विभाग ने सऊदी अरब की सरकार से सम्पर्क कर उसके शव को उसके देश को सौंपने की पेशकश की लेकिन जिस प्रकार बिन लादेन जीते जी उनके लिए अवांछित था, मौत में भी वह अवांछित बना रहा। जब उन्हें बताया गया कि समुद्र में दफनाने का विकल्प है तो सऊदी अधिकारियों ने कहा ”हमें आपकी योजना अच्छी लगी।” एक साधारण मुस्लिम अंतिम क्रियाक्रम की प्रक्रिया करियर पर पूरी की गई। शव को एक सफेद कफन में लपेटा गया और उसे डुबोने के लिए वजन भी बांधा गया। मौत की एलबम के रंगीन फोटो की अंतिम कड़ी असंगत नहीं थी। वे आश्चर्यजनक ढंग से हिल रहे थे। नेवी के एक फोटोग्राफर ने 2 मई यानी सोमवार की सुबह पूर्ण सूर्य की रोशनी में दफनाने की प्रक्रिया को कैमरे में कैद किया। एक फोटो में दिखता है कि शव वजनदार सफेद कफन में लिपटा है। दूसरे में दिखता है कि प्लेटफॉर्म पर सपाट एक कोने से दूसरे कोने तक लकीर दिखती है, पैर बाहर की ओर निकले हुए हैं। एक अन्य में दिखता है कि शव छोटे छपछपाते हुए पानी की ओर बढ़ रहा है। अगले में दिखता है कि सतह के एकदम नीचे, एक प्रकार की भूतहा मछली उसे लपकने को बढ़ रही है। अगले दृश्य में सिर्फ घेराकार तरंगें नीली सतह पर दिखती हैं। अंतिम फोटो में जल शांत है। ओसामा बिन लादेन का पार्थिव शरीर सदैव के लिए जाना, अच्छा के लिऐ ही गया।

एल के अडवाणी

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