गहलोत दूषित राजनीति में फंसी रिफाइनरी

कीर्ति शर्मा पाठक
कीर्ति शर्मा पाठक

-कीर्ति शर्मा पाठक- लीलाला, पचपदरा, जाट लॉबी को नीचा दिखाना और जोधपुर की निकटता – दूषित राजनीति – रिफाइनरी हेतु ज़रूरी क्या होना चाहिए ?

दूषित और स्वार्थी राजनीति अपने चरम पर …..
रिफाइनरी का लिलावा से पचपदरा ले जाए जाने की राजनीति …..
राज्य सरकार चाहे कोई भी वजह बता रही हो परन्तु अशोक गहलोत की स्वार्थी,जाति समीकरण और एक लॉबी विशेष को नीचा दिखाने की दूषित राजनीति के चलते विरोध की लहर उठने लगी है ….
आज स्वार्थ की राजनीति के चलते अशोक गहलोत ये भूल रहे हैं कि उन पर सम्पूर्ण राज्य की ज़िम्मेदारी है ….
जोधपुर के समीप पचपदरा में पुत्र मोह में फंसे गहलोत ,चाहे अब नकारें, परन्तु इसी स्वार्थ की राजनीति करते पकडे गए …पुत्र को पचपदरा से विधान सभा चुनाव लड़वाने के इच्छुक गहलोत अब बगलें झांकते नज़र आ रहे हैं ….
पचपदरा हो या ब्यावर – राजस्थान में एक नए परिवारवाद को जन्म देना चाहते हैं गहलोत …..
एक तीर से कई निशाने लगाना चाहते हैं ….
दबे स्वर में लगातार जाट मुख्यमन्त्री की मांग उठती रही है –
गहलोत मंथरा अब जाट नेताओं को आपस में लडवा कर बिल्ली की तरह पूरी रोटी स्वयं हड़पना चाहती है ….
देखना ये है कि गहलोत का जाटों को मोटी बुद्धि का मानना कहाँ तक सही बैठता है
और
जाट वर्ग इस गहलोत पोषित – जाट विरोधी नीति में फंस कर कैसे राजस्थान की सत्ता की सर्वोच्च कुर्सी से महरूम रहता है ?
खैर
इस गहलोत दूषित राजनीति में फंसी रिफाइनरी सब राजनीतिज्ञों का मुंह ताक रही है .

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