मुसलमान भारत में दोयम दर्जे का नागरिक क्यों

-अमलेन्दु उपाध्याय- झाँसी के मूल निवासी अज़हर खान दक्षिण अफ्रीका में इंजीनियर हैं। कम उम्र के नौजवान हैं लेकिन राजनैतिक मसलों पर काफी सजग हैं और देश के बिगड़ते हालात पर काफी चिंतित भी रहते हैं। अक्सर मुझसे ऑनलाइन बतियाते रहते हैं और काफी गम्भीर सवाल उठाते हैं। हाल ही में उनसे लम्बा विचार विमर्श हुआ। यहाँ उनसे जो बातचीत हुई उसे उद्धृत करना इसलिए जरूरी समझता हूँ क्योंकि कई सवाल और जवाब इस बातचीत में दर्ज हैं फिर आगे बात करूँगा।

अमलेन्दु उपाध्याय
अमलेन्दु उपाध्याय

अज़हर – सर मेरी बात का गलत मतलब मत निकालिएगा प्लीज़ मेरी बात का सार समझिएगा। क्या मुसलमानों ने पाकिस्तान न जाकर कोई गलती तो नहीं की ??? आज हर एक जात, हर एक समुदाय का लीडर है, मुसलमानों का कोई लीडर नहीं। बस सेकुलरिज्म के नाम पर चुनाव में वोट लेने सब आ जाते हैं, इन्क्लुडिंग बीजेपी। हम पर आरोप लगता है की हम देशद्रोही हैं, आतंकवाद समर्थक हैं। विडम्बना देखिये हम यह बात कह भी नहीं सकते, हाल तुष्टिकरण करने का आरोप लग जायेगा। यहाँ बाबरी मस्जिद को खुले आम तोड़ा जाता है। 2002 होता है। मोदी के बारे में सब जानते हैं कि वह कैसा व्यक्ति है फिर भी कोर्ट और एसआईटी को उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल पाते। जानते बूझते वन्दे मातरम् गाने के लिए मजबूर किया जाता है। ..और जिस तरह बीजेपी और मोदी घूम घूम कर प्रचार करते हैं उससे उनके पीएम बनने की दावेदारी भी मजबूत हो जाती है। … हमारा कोई नेता नहीं। आज हकीक़त यह है कि हम आज दोयम दर्जे के नागरिक बन चुके हैं।

मैं – थोड़ा कठिन सवाल है आपका। लेकिन अगर इसका उत्तर सरलीकृत होकर दिया जाए तो जीत उनकी हो होती है जिनके यह आरोप हैं। मोदी कितने प्रतिशत हिन्दुओं का लीडर है? भाजपा को कितने प्रतिशत वोट मिलते हैं? इस मुल्क में रहने वाले 75 फीसदी हिन्दुओं के वोट किसे मिलते हैं ?

अज़हर – ज्यादातर हिन्दुओं का। गुजरात में वह अजय है सर। और जिस तरह से मुख्यधारा का मीडिया उसका महिमामंडन करते हैं वह सब जगह विकास, सुशासन, गवर्नेंस की बात करता फिरता है।

मैं – मीडिया, हिन्दुओं का प्रतिनिधि नहीं है।

अज़हर – सब जानते हैं कि उसने ही दंगे कराये फिर भी वह मसीहा है भारत में।

सर बीजेपी और आरएसएस शिवसेना तो है (हिन्दुओं का प्रतिनिधि)।

मैं- जी मैं यही सवाल कर रहा हूँ कि भाजपा को कितने प्रतिशत हिन्दुओं के वोट मिलते हैं ?

अज़हर- क्या मुसलमान इस देश में दोयम दर्जे के नागरिक नहीं है सर ???

आप बता दीजियेगा सर नहीं जानता मैं

मैं- बिल्कुल नहीं हैं। बनाने की कोशिश की जा रही है (मुसलमान इस देश में दोयम दर्जे के नागरिक) और इसमें मुस्लिम लीडर्स की भूमिका भी कम नहीं है।

अज़हर- सर जब कोई मुसलमान आतंकवाद के केस में पकड़ा जाता है तब तो सब देशभक्त बन जाते हैं लेकिन संयोग से कोई अगर हिन्दू पकड़ा जाए तो वोट बैंक की राजनीति कहा जाता है।

मैं- कौन कहता है

अज़हर- भाजपा रामचंद्र जी की बात करती है और सब जानते हैं रामचंद्र जी हिंदुओं के लिए आस्था का विषय हैं। इस हिसाब से ज्यादार हिन्दू तो बीजेपी के ही समर्थक होते हैं!

मैं- सवाल फिर वही है, जो कहते हैं क्या हम उन्हें वैधता प्रदान कर रहे हैं ?

अज़हर- सर बहुत लोग कहते हैं। संघ का एक प्रवक्ता है अक्सर न्यूज़ चैनलों पर आकर कहता है, राकेश सिन्हा नाम है उसका।

मैं- माफ कीजिएगा। राम मंदिर आंदोलन का विरोध करने वाले हिंदू ही थे। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी वाले क्या कर रहे थे यह मालूम कर लीजिए।

अज़हर- सर अगर विरोध कर रहे होते तो क्या बाबरी मस्जिद गिरती। मेरे मन में संघियों जैसी नफरत नहीं है। मैं सबका आदर करना जानता हूँ लेकिन बीजेपी ने इसके सहारे ही सत्ता हासिल की और 2014 में उसका आना कांग्रेस के भ्रष्टाचार, महंगाई से बन रहा है और मोदी का पीएम बनना भी तय लग रहा है।

मैं- बाबरी मस्जिद षडयंत्र के तहत गिरी। लेकिन इस देश के राष्ट्रपति ने आगे बढ़कर गिराने वालों को गुण्डा कहा।

अज़हर- डॉ शंकर दयाल शर्मा ???

मैं- और अगर हम यह मान लेंगे कि इस देश का अधिकांश हिन्दू सांप्रदायिक हो गया फिर हिंदू राष्ट्र बनने में क्या देर है?

जी, शंकर दयाल शर्मा

अज़हर- यही तो वह चाहते हैं। बीजेपी- आरएसएस-शिवसेना वाले। बस इसी बात का डर है फिर हमारा क्या होगा ???

मैं- वे यह डर ही पैदा करना चाहते हैं।

अज़हर- बीजेपी सिर्फ एक बार पूर्ण बहुमत में आ जाये फिर तो बनना तय है। कई लोगों से बात हुई। उन्होंने कहा कि एक बार मोदी को पीएम बन जाने दो। कसम भगवान् राम की तुम मुसलमानों पर कहर न ढहा दिया तो कहना, जो काम हम सबने छुप कर गुजरात में 2002 में किया कसम भगवान् राम की वही काम हम खुले आम करेंगे।

मैं- वो मनहूस दिन कभी नहीं आएगा।

अज़हर- क्यों सर ???

मैं- जिस दिन ऐसा होगा उस दिन यह मुल्क टूट जाएगा।

अज़हर के सवाल गम्भीर हैं और इन सवालों पर इस मुल्क के रहनुमाओं को बहुत संजीदगी से सोचने की जरूरत है कि आखिर क्यों एक सच्चे हिंदुस्तानी के दिल में यह बात घर करती जा रही है कि इस मुल्क में वह एक दोयम दर्ज़े का नागरिक है। जाहिर सी बात है कि अज़हर के दिल में समाया डर इस बात की ताईद कर रहा है कि मुल्क की फ़िज़ाँ बिगड़ चुकी है और फिरकेवाराना ताकतें यह संदेश देने में कामयाब हो रही हैं कि मुसलमान इस मुल्क में दोयम दर्ज़े का नागरिक है।

शायद फिरकेवाराना ताकतों का मकसद भी यही है कि हिंदुस्तानी मुसलमानों के दिल में यह बात पैदा करें कि उनके मज़हब का कोई लीडर नहीं है और फिर खुद को हिंदुओं का रहनुमा साबित करने के लिए नज़ीर दें कि मुसलमानों के लीडर हैं तो हम हिंदुओं के लीडर हैं।

ठीक इसी जगह यह प्रश्न खड़ा होता है कि न तो आरएसएस और न भाजपा हिंदुओं के प्रतिनिधि हैं और न वे हिंदू हैं। अगर वे हिंदुओं के प्रतिनिधि होते तो 75 फीसदी हिंदुओं के वोट भाजपा के खिलाफ नहीं पड़ते। ठीक उसी तरह से जैसे मु. अली जिन्नाह मुस्लिम लीग़ के लीडर थे, मुसलमानों के नहीं। अगर वे मुसलमानों के लीडर होते तो आज पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमानों की आबादी भारत में न होती। इसी तरह से आरएसएस कभी हिंदुओं का प्रतिनिधि नहीं रहा और रहा होता तो भारत अस्तित्व में ही न आया होता। दरअसल मुसलमानों को अपना लीडर चाहिए, यह डर पैदा करके ही संघ और भाजपा स्वयं को हिंदुओं का प्रतिनिधि साबित करना चाहते हैं, जो वे हैं नहीं।

और जब मैं अज़हर से विश्वास के साथ कहता हूँ कि वो मनहूस दिन कभी नहीं आएगा कि भारत हिंदू राष्ट्र बन जाए और जिस दिन ऐसा होगा उस दिन यह मुल्क टूट जाएगा तो उसके पीछे भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम की विरासत है। याद रखिए कि संघ और महासभा तो मुस्लिम लीग़ के साथ मिलकर अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के साथ गद्दारी करके अंग्रेजों का साथ दे रहे थे जबकि इस देश का हिंदू और मुसलमान कंधे से कंधा मिलाकर ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ सड़कों पर लड़ रहा था। क्या महात्मा गाँधी, पं. नेहरू, शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरू, संघ और हिंदू महासभा के आव्हान पर अपना बलिदान दे रहे थे ? नहीं। तब संघ-महासभा कैसे हिंदुओं के प्रतिनिधि हो गए। ठीक इसी तरह क्या अशफाक उल्ला खाँ, जिन्नाह के आव्हान पर जंगे आजादी में कूदे थे? तब जिन्नाह मुसलमानों के लीडर कैसे हो गए? औरअगर संघ हिंदुओं का ओर मुस्लिम लीग मुसलमानों की प्रतिनिधि होती तो आज भारत और पाकिस्तान के नक्शे अलग होते।

वैसे भी सारी दुनिया का इतिहास बताता है कि धर्म/ मज़हब कोई यूनिफाइंग फोर्स नहीं होता है। अगर होता तो इस्लाम के अनुयायी सारे अरब मुल्क एक मुल्क होते। पाकिस्तान के टुकड़े न हुए होते और ईरान और इराक दो दशक से ज्यादा एक दूसरे के खिलाफ न लड़े होते। दुनिया के इकलौते हिंदू राष्ट्र नेपाल में जनता उस हिंदू राष्ट्र को उखाड़ फेंक जम्हूरियत बहाली के लिए सड़कों पर उतर कर मरने मारने पर उतारू न हो जाती।हम तो यह सबक सीख चुके हैं, तभी सीना चौड़ा करके कहते हैं कि कोई भी कातिल, बाबरी मस्जिद का हत्यारा हिंदुओं का रहनुमा नहीं हो सकता। आप भी उन्हें यह सबक सिखाइये जो कहते हैं कि मुसलमानों का रहनुमा चाहिए।

अज़हर को भी मैंने वरिष्ठ पत्रकार चंचल जी का लिखा छोटा सा टुकड़ा पढ़वाया। उसे देखें –

“फिर से वही बवाल ..? वही मुसलमान ?

पाकिस्तान के घर निकाला कौमी मुहाजिर मूवमेंट के नेता अल्ताफ हुसैन ने एक जोरदार बात कही – भारत के उन मुसलमानों ने जिन्होंने पाकिस्तान बनाया, भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों को कटघरे में खड़ा कर दिया।’ इस जुमले को पर्त दर पर्त खोला जाय तो तवारीख की कई गुत्थी सुलझती दिखाई देगी। यह सच कि यहाँ से निकले मुसलमान ही असल गुनाहगार हैं। आज भारत में पाक से ज्यादा मुसलमान हैं और उनसे बेहतर ज़िन्दगी जी रहे हैं। (इंडोनेशिया के बाद भारत मुस्लिम आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर पर है ) आज पाक निर्माता मुसलमान अपने ही मुल्क में मोहाजिर ( शरणार्थी ) है जब कि उसके पलट पाक से आये हिन्दू यहाँ हर मुकाम पर ऊपर हैं। वे शरणार्थी नहीं बोले जाते बल्कि वे दूसरे को शरणार्थी कह कर हेकड़ी भी दिखाते हैं। अडवानी उन्ही में से एक हैं। ( असम के मुसलमानों को अडवानी बंगलादेशी बोलते हैं और उन्हें बाहर निकालने की बात करते हैं )

भारत का मुसलमान अगर अपने हक और हुकूक की बात करता है तो उसे पाकिस्तानी करार दे दिया जाता है। पाकिस्तान में उसे भारत का एजेंट मान लिया जाता है और बँगला देश में वह बिहारी बना दिया जाता है। जिस मुल्क की अवाम का सीना सिकुड़ जाय वह तरक्की के रास्ते पर कैसे जा सकता है ? आज उसे खुल कर बे खौफ यह बोलना पड़ेगा कि यह मुल्क किसी के बाप की जागीर नहीं, जितना तुम्हारा है उतना ही हमारा। जिस दिन यह जज्बा मुसलमानों में आ जायेगा मुल्क एक खूबसूरत डगर पर चल पड़ेगा। यहाँ राही साहिब ( मरहूम डॉ. राही मासूम रजा ) का जिक्र करना चाहूँगा। किसी पत्रकार ने उनसे पूछा था- डॉ. साहिब आपको देशद्रोही होने का डर तो नहीं लगता ? राही साहब ने बेबाकी से कहा था- मियाँ ! तुम्हारे सामने कोई ‘ऑप्शन’ नहीं था तुम्हें तो यही रहना था क्यों कि तुम हिन्दू हो, लेकिन मेरे सामने था। मै यहाँ रहता या पाकिस्तान चला जाता, मैं यहा हूँ क्योंकि यह मुल्क मेरा है, मेरे पुरखों का है।

आइये इस मुल्क को मिलजुल कर बनाएँ।“

इसलिए आइए आगे बढ़कर बे खौफ यह बोलिए कि यह मुल्क किसी के बाप की जागीर नहींजितना तुम्हारा है उतना ही हमारा है। हम दोयम दर्जे के नागरिक नहीं हैं। यही फिकेवाराना ताकतों के मुँह पर करारा तमाचा होगा। जरूरत किसी हिंदू या मुस्लिम लीडर की नहीं सच्चे भारतीय लीडर की है।

अमलेन्दु उपाध्याय राजनीतिक समीक्षक हैं। http://hastakshep.com के संपादक हैं. संपर्क[email protected]

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